मेरी माँ अंबे दुर्गे भवानी(Meri Maa Ambe Durga Bhawani)

मेरी माँ अंबे दुर्गे भवानी,

किस जगह तेरा जलवा नहीं है,

तेरा जलवा कोई कोई देखे,

हर किसी का मुकद्दर नहीं है,

तेरा जलवा जलवा जलवा,

तेरा जलवा जलवा जलवा,

तेरा जलवा कोई कोई देखे,

हर किसी का मुकद्दर नहीं है ॥


मेरी मैया के दर पे जो आते,

हर सवाली सभी कुछ है पाते,

जिसे मां पर नहीं है भरोसा,

सारी दुनिया से ठोकर वो खाते,

तेरा जलवा कोई कोई देखे,

हर किसी का मुकद्दर नहीं है ॥


लोग पीते हैं पी कर के गिरते,

हम तो पीते पर गिरते नहीं है,

हम तो पीते हैं भक्ति का प्याला,

दुनिया वालों से डरते नहीं है,

तेरा जलवा कोई कोई देखे,

हर किसी का मुकद्दर नहीं है ॥


जिसने चरणों पे सर को झुकाया,

दूर अपने गमो को हटाया,

मेरी मैया की चौखट जो आते,

फिर कही ना वो सर को झुकाते,

तेरा जलवा कोई कोई देखे,

हर किसी का मुकद्दर नहीं है ॥


मां के दर पर तो आकर के देखो,

अपने आंसू बहाकर तो देखो,

तुम रोते हो दुनिया के आगे,

दुख मां को सुना कर तो देखो,

तेरा जलवा कोई कोई देखे,

हर किसी का मुकद्दर नहीं है ॥


मेरी माँ अंबे दुर्गे भवानी,

किस जगह तेरा जलवा नहीं है,

तेरा जलवा कोई कोई देखे,

हर किसी का मुकद्दर नहीं है,

तेरा जलवा जलवा जलवा,

तेरा जलवा जलवा जलवा,

तेरा जलवा कोई कोई देखे,

हर किसी का मुकद्दर नहीं है ॥

........................................................................................................
जानकी स्तुति - भइ प्रगट किशोरी (Janaki Stuti - Bhai Pragat Kishori)

भइ प्रगट किशोरी,
धरनि निहोरी,

ए पहुना एही मिथिले में रहुना (Ae Pahuna Mithile Me Rahuna)

ए पहुना एही मिथिले में रहु ना,
जउने सुख बा ससुरारी में,

छठ व्रत कथा (Chhath Vrat Katha)

छठ व्रत कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनाने के 6 दिन बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष को मनाए जाने के कारण इसे छठ कहा जाता है।

पुष्कर स्नान क्या है

सनातन में पुष्कर स्नान का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। पुष्कर सरोवर को प्रमुख धार्मिक स्थानों में से एक माना जाता है

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।