मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री,
कैसो चटक रंग डारो,
श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयों दाग री,
कैसो चटक रंग डारों ॥
औरन को अचरा ना छुअत है,
औरन को अचरा ना छुअत है,
या की मोहि सो,
या की मोहि सो लग रही लाग री,
या की मोहि सो लग रही लाग री,
कैसो चटक रंग डारों,
श्याम मोरी चुनरी में पड़ गयों दाग री,
कैसो चटक रंग डारों ॥
मो सो कहतो सुन्दर नारी,
मो सो कहतो सुन्दर नारी,
ये तो मोही सो,
ये तो मो हि सो खेले फाग री,
ये तो मो हि सो खेले फाग री,
कैसो चटक रंग डारो,
श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयों दाग री,
कैसो चटक रंग डारों ॥
बल बल दास आस ब्रज छोड़ो,
बल बल दास आस ब्रज छोड़ो,
ऐसी होरी में,
ऐसी होरी में लग जाये आग री,
ऐसी होरी में लग जाये आग री,
कैसो चटक रंग डारों,
श्याम मोरी चुनरी में पड़ गयों दाग री,
कैसो चटक रंग डारों ॥
मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री,
कैसो चटक रंग डारो,
श्याम मोरी चुनरी में पड़ गयों दाग री,
कैसो चटक रंग डारों ॥
महाशिवरात्रि, हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के दिव्य विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस पावन अवसर पर, प्रत्येक हिंदू घर में उत्साह और श्रद्धा का वातावरण होता है। शिव भक्त इस दिन विशेष रूप से व्रत रखते हैं और चारों पहर में भगवान शिव की आराधना करते हैं।
शिव पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, एक समय भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच यह विवाद छिड़ गया कि उनमें से श्रेष्ठ कौन है। इस विवाद को शांत करने के लिए भगवान शिव ने एक अनंत प्रकाश स्तंभ ज्योति का रूप धारण किया।
महाशिवरात्रि का व्रत हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
फुलेरा दूज का त्योहार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है और धूमधाम से मनाया जाता है।