मेरी आखिओं के सामने ही रहना,
माँ शेरों वाली जगदम्बे ।
हम तो चाकर मैया,
तेरे दरबार के,
भूखे हैं हम तो मैया,
बस तेरे प्यार के॥
विनती हमारी भी,
अब करो मंज़ूर माँ,
चरणों से हमको कभी,
करना ना दूर माँ ॥
मुझे जान के अपना बालक,
सब भूल तू मेरी भुला देना,
शेरों वाली जगदम्बे,
आँचल में मुझे छिपा लेना ॥
॥ मेरी आखिओं के सामने...॥
तुम हो शिव जी की शक्ति,
मैया शेरों वाली ।
तुम हो दुर्गा हो अम्बे,
मैया तुम हो काली॥
बन के अमृत की धार सदा बहना,
ओ शेरों वाली जगदम्बे ॥
॥ मेरी आखिओं के सामने...॥
तेरे बालक को कभी माँ सबर आए,
जहाँ देखूं माँ तू ही तू नज़र आये ।
मुझे इसके सिवा कुछ ना कहना,
ओ शेरों वाली जगदम्बे ॥
॥ मेरी आखिओं के सामने...॥
देदो शर्मा को भक्ति का,
दान मैया जी,
लक्खा गाता रहे,
तेरा गुणगान मैया जी ।
है भजन तेरा,
भक्तो का गहना,
ओ शेरों वाली जगदम्बे ॥
मेरी आखिओं के सामने ही रहना,
माँ शेरों वाली जगदम्बे ।
देवता भी स्वार्थी थे,
दौड़े अमृत के लिए,
प्रथम वेद ब्रह्मा को दे दिया,
बना वेद का अधीकारी ।
दीपावली, जिसे दीपोत्सव या महालक्ष्मी पूजन का पर्व भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति का सबसे पावन त्योहारों में से एक है। यह पर्व विशेषकर धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए ही मनाया जाता है।
शुक्रवार का दिन देवी पार्वती सहित सभी स्त्री देवी-स्वरूपों की पूजा के लिए समर्पित है। यह दिन माता पार्वती को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख, समृद्धि और सौभाग्य लाने का उत्तम समय है।