मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी,
पल भर में जादू कर जाएगी,
गर फिर गई तेरे सर पे तो,
गर फिर गई तेरे सर पे तो,
हर बिगड़ी बात सवर जाएगी,
मेरे श्याम धनि की मोरछड़ी,
पल भर में जादू कर जाएगी ॥
प्रेम का है भूखा,
तू प्रेम मेरे सांवरे से कर जरा,
आएगा ना कोई तेरे काम,
बस मेरा श्याम आएगा सदा,
गर जो झुकेगा सर ये तेरा,
गर झुक जाए मस्तक तेरा,
माथे की रेख बदल जाएगी,
मेरे श्याम धनि की मोरछड़ी,
पल भर में जादू कर जाएगी ॥
कर नहीं मैं सकता महिमा मेरे,
घनश्याम की मुख से बयां,
आज तक क्या देखा,
कोई श्याम के दरबार से खाली गया,
बंद पड़ी किस्मत भी यहाँ,
तेरी बंद पड़ी किस्मत भी यहाँ,
खुशियों की चाबी से खुल जाएगी,
मेरे श्याम धनि की मोरछड़ी,
पल भर में जादू कर जाएगी ॥
दौड़ के आ जाए,
जो श्याम को दिल से पुकारे है कभी,
है ‘प्रकाश’ कहता,
बिना श्याम के कोई काम मुमकिन है नहीं,
उंगली पकड़ ली जबसे तेरी,
जो उंगली पकड़ ली जबसे तेरी,
मंजिल भी तुझको मिल जाएगी,
मेरे श्याम धनि की मोरछड़ी,
पल भर में जादू कर जाएगी ॥
मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी,
पल भर में जादू कर जाएगी,
गर फिर गई तेरे सर पे तो,
गर फिर गई तेरे सर पे तो,
हर बिगड़ी बात सवर जाएगी,
मेरे श्याम धनि की मोरछड़ी,
पल भर में जादू कर जाएगी ॥
शनि जयंती भगवान शनि के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार, इस साल यह पर्व 27 मई, मंगलवार को मनाया जाएगा, जिस दिन सुकर्मा योग बन रहा है, जो इसे और भी विशेष बनाता है।
शनि जयंती, भगवान शनि के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है, जो ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को आती है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, इस साल शनि जयंती 27 मई, मंगलवार को मनाई जाएगी।
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। यह दिन पितरों की पूजा, तर्पण और शांति के उपायों के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। यूं तो साल में आने वाली सभी अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता हैI
हिंदू धर्म में ज्येष्ठ माह की अमावस्या का विशेष महत्व है और जब यह तिथि सोमवार को आती है, तो इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन पितरों को स्मरण करने और उन्हें तर्पण देने का सबसे श्रेष्ठ अवसर होता है।