मेरे भोले की सवारी आज आयी,
मेरे शंकर की सवारी आज आयी,
जोगन बन नाचूंगी मैं भी,
जोगन बन नाचूंगी ॥
गले में उसके सर्पो की माला,
शम्भू पीते विष का प्याला,
सुन्दर रूप है उसका निराला,
बाबा मेरा भोला भाला,
तेरा नाम जपे दुनिया सारी,
जोगन बन नाचूंगी मैं भी,
जोगन बन नाचूंगी ॥
जटा गंग भंग पि के आए,
गौरा मैया के मन हर्षाये,
अक धतूरा जो भोग लगाए,
उसकी नैया पार लगाए,
भोला कहलाता है विषधारी,
जोगन बन नाचूंगी मैं भी,
जोगन बन नाचूंगी ॥
अंग पे अपने भस्म रमाए,
डम डम डम डम डमरू बजाए,
औघड़दानी रूप धरा है,
‘ब्रजवासी’ तेरी महिमा गाए,
शिव नाम के है सारे पुजारी,
जोगन बन नाचूंगी मैं भी,
जोगन बन नाचूंगी ॥
मेरे भोले की सवारी आज आयी,
मेरे शंकर की सवारी आज आयी,
जोगन बन नाचूंगी मैं भी,
जोगन बन नाचूंगी ॥
हिंदू धर्म में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव को समर्पित किया गया है। इस दिन को हर महीने मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। भक्तगण इस दिन व्रत रखते हैं और भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं।
मौनी अमावस्या पर मौन रहने का नियम है। सनातन धर्म शास्त्रों में इस दिन स्नान और दान की पंरपरा सदियों से चली आ रही है। यह केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि का एक महत्वपूर्ण साधन भी है।
मासिक शिवरात्रि भगवान शिव को समर्पित विशेष पर्व है, जो हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं।
मासिक शिवरात्रि का व्रत हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है। यह भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ अवसर माना गया है।