मानो तो मैं गंगा माँ हूँ,
ना मानो तो बहता पानी,
जो स्वर्ग ने दी धरती को,
में हूँ प्यार की वही निशानी,
मानो तो मैं गंगा माँ हूँ,
ना मानो तो बहता पानी ॥
युग युग से मैं बहती आई,
नील गगन के नीचे,
सदियो से ये मेरी धारा,
ये प्यार की धरती सींचे,
मेरी लहर लहर पे लिखी है
मेरी लहर लहर पे लिखी है
इस देश की अमर कहानी,
मानो तो मैं गंगा माँ हूँ,
ना मानो तो बहता पानी ॥
हरी ॐ, हरी ॐ, हरी ॐ॥
हरी ॐ, हरी ॐ, हरी ॐ॥
कोई वजब करे मेरे जल से,
कोई वजब करे मेरे जल से,
कोई मूरत को नहलाए,
कही मोची चमड़े धोए,
कही पंडित प्यास बुझाए,
ये जात धरम के झगड़े ओ,
ये जात धरम के झगड़े,
इंसान की है नादानी,
मानो तो मैं गंगा मा हूँ,
ना मानो तो बहता पानी ॥
हर हर गंगे हर हर गंगे ॥
हर हर गंगे हर हर गंगे ॥
गौतम अशोक अकबर ने,
यहा प्यार के फूल खिलाए,
तुलसी ग़ालिब मीरा ने,
यहा ज्ञान के दिप जलाए,
मेरे तट पे आज भी गूँजे,
मेरे तट पे आज भी गूँजे,
नानक कबीर की वाणी
मानो तो मैं गंगा मा हूँ,
ना मानो तो बहता पानी ॥
मानो तो मैं गंगा माँ हूँ,
ना मानो तो बहता पानी,
मानो तो मैं गंगा माँ हूँ,
ना मानो तो बहता पानी ॥
सांख्य शास्त्र को आमतौर पर सांख्य दर्शन के नाम से जाना जाता है। ये प्राचीन काल में बहुत अधिक लोकप्रिय रहा है।
वैशेषिक दर्शन शास्त्रों में चतुर्थ नंबर का स्थान रखता है, इस शास्त्र की रचना महर्षि कणाद द्वारा की गई है।
वेदान्त शास्त्र को महर्षि वेदव्यास द्वारा रचा गया है। इस शास्त्र में महर्षि वेदव्यास ने ब्रह्मासूत्र को मूल ग्रंथ माना है।
जैमिनी ऋषि द्वारा रचित मीमांसा शास्त्र में वैदिक यज्ञों में प्रयुक्त होने वाले मंत्रों के विभाग और यज्ञ प्रक्रिया का वर्णन किया गया है।