मैं हर दिन हर पल हर लम्हा,
माँ ज्वाला के गुण गाता हूँ,
आ गई माँ सिरसा में रहने,
सबको यूँ बतलाता हूँ ॥
भक्तों ने जा भवन तुम्हारे,
तुमको शीश नवाया माँ,
हाथ जोड़कर करी बिनती,
संग में चलो महामाया,
मैं बैठ सामने ज्योत तेरी के,
मीठे भजन सुनाता हूँ,
आ गई माँ सिरसा में रहने,
सबको यूँ बतलाता हूँ ॥
सुंदर सी चौकी पर माँ,
मखमल गद्दी लगवाउँ मैं,
रूप सिंगारन पुष्प सुगंधित,
ताजी कलियां लाऊं मैं,
मैं खुद दर्शन कर रोज सवेरे,
सबको दर्श कराता हूँ,
आ गई माँ सिरसा में रहने,
सबको यूँ बतलाता हूँ ॥
‘माँ भगवती सेवा दल’,
ये करे तुम्हारी सेवा माँ,
भोग लगाने लाते मैया,
हलवा पुरी मेवा माँ,
माँ सिरसा मे रहे वास तुम्हारा,
यही मैं अर्ज लगाता हूँ,
आ गई माँ सिरसा में रहने,
सबको यूँ बतलाता हूँ ॥
मैं हर दिन हर पल हर लम्हा,
माँ ज्वाला के गुण गाता हूँ,
आ गई माँ सिरसा में रहने,
सबको यूँ बतलाता हूँ ॥
शनि जयंती भगवान शनि के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार, इस साल यह पर्व 27 मई, मंगलवार को मनाया जाएगा, जिस दिन सुकर्मा योग बन रहा है, जो इसे और भी विशेष बनाता है।
शनि जयंती, भगवान शनि के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है, जो ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को आती है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, इस साल शनि जयंती 27 मई, मंगलवार को मनाई जाएगी।
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। यह दिन पितरों की पूजा, तर्पण और शांति के उपायों के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। यूं तो साल में आने वाली सभी अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता हैI
हिंदू धर्म में ज्येष्ठ माह की अमावस्या का विशेष महत्व है और जब यह तिथि सोमवार को आती है, तो इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन पितरों को स्मरण करने और उन्हें तर्पण देने का सबसे श्रेष्ठ अवसर होता है।