मैली चादर ओढ़ के कैसे - भजन (Maili Chadar Odh Ke Kaise)

मैली चादर ओढ़ के कैसे,

द्वार तुम्हारे आऊँ,

हे पावन परमेश्वर मेरे,

मन ही मन शरमाऊँ ।

॥ मैली चादर ओढ़ के..॥


तूने मुझको जग में भेजा,

निर्मल देकर काया,

आकर के संसार में मैंने,

इसको दाग लगाया ।

जनम जनम की मैली चादर,

कैसे दाग छुड़ाऊं,

॥ मैली चादर ओढ़ के..॥


निर्मल वाणी पाकर तुझसे,

नाम ना तेरा गाया,

नैन मूँदकर हे परमेश्वर,

कभी ना तुझको ध्याया ।

मन-वीणा की तारे टूटी,

अब क्या राग सुनाऊँ,

॥ मैली चादर ओढ़ के..॥


इन पैरों से चलकर तेरे,

मंदिर कभी ना आया,

जहाँ जहाँ हो पूजा तेरी,

कभी ना शीश झुकाया ।

हे हरिहर मई हार के आया,

अब क्या हार चढाउँ,

॥ मैली चादर ओढ़ के..॥


तू है अपरम्पार दयालु,

सारा जगत संभाले,

जैसा भी हूँ मैं हूँ तेरा,

अपनी शरण लगाले ।

छोड़ के तेरा द्वारा दाता,

और कहीं नहीं जाऊं


मैली चादर ओढ़ के कैसे,

द्वार तुम्हारे आऊँ,

हे पावन परमेश्वर मेरे,

मन ही मन शरमाऊँ ।

........................................................................................................
उलझ मत दिल बहारो में 2 (Ulajh Mat Dil Bharo Me -2)

उलझ मत दिल बहारो में बहारो का भरोसा क्या,
सहारे छुट जाते है सहरो का बरोसा क्या

त्रिपुर भैरवी जयन्ती के उपाय

मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन मनाई जाने वाली त्रिपुर भैरवी जयंती एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर है, जो माता काली के शक्तिशाली स्वरूप त्रिपुर भैरवी की महिमा को दर्शाता है।

हमने ब्रज के ग्वाले से, अपना दिल लगाया है(Humne Braj Ke Gwale Se Apna Dil Lagaya Hai )

हमने ब्रज के ग्वाले से
अपना दिल लगाया है,

लिङ्गाष्टकम् (Lingashtakam)

ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् । जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने