ल्याया थारी चुनड़ी,
करियो माँ स्वीकार,
इमें साँचा साँचा हीरा,
इमें साँचा साँचा हीरा,
और मोत्यां की भरमार,
ल्याया थारी चुनरी,
करियो माँ स्वीकार ॥
चुनरी को रंग लाल चटक है,
तारा भी चिपकाया माँ,
बढ़िया पोत मंगाया जामे,
गोटो भी लगवाया माँ,
थे तो ओढ़ दिखाओ मैया,
थारो मानूंगा उपकार,
ल्याया थारी चुनरी,
करियो माँ स्वीकार ॥
बस इतनी सी कृपा कर द्यो,
सेवा में लग जावा माँ,
म्हाने तो इ लायक कर द्यो,
चुनरी रोज चढ़ावा माँ,
बस टाबरिया पर बरसे,
माँ हरदम थारो प्यार,
ल्याया थारी चुनरी,
करियो माँ स्वीकार ॥
एक हाथ से भक्ति दीजो,
एक हाथ से शक्ति माँ,
एक हाथ से धन दौलत और,
एक हाथ से मुक्ति माँ,
थे तो हर हाथा से दीजो,
माँ थारा हाथ हज़ार,
ल्याया थारी चुनरी,
करियो माँ स्वीकार ॥
गर थे थारो बेटो समझो,
सेवा बताती रहिजो माँ,
‘बनवारी’ गर लायक समझो,
काम उडाती रहिजो माँ,
थारो ‘अमरचंद’ बैठ्यो है,
थारी सेवा में तैयार,
ल्याया थारी चुनरी,
करियो माँ स्वीकार ॥
ल्याया थारी चुनड़ी,
करियो माँ स्वीकार,
इमें साँचा साँचा हीरा,
इमें साँचा साँचा हीरा,
और मोत्यां की भरमार,
ल्याया थारी चुनरी,
करियो माँ स्वीकार ॥
ॐ जय गङ्गाधर हर, जय गिरिजाधीशा।
त्वं मां पालय नित्यं, कृपया जगदीशा॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे, स्वामी जय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित, फलको पूर्ण करे॥
जयति जयति जग-निवास,शंकर सुखकारी॥
जयति जयति जग-निवास,शंकर सुखकारी॥