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लेके पूजा की थाली

लेके पूजा की थाली

लेके पूजा की थाली, ज्योत मन की जगा ली

तेरी आरती उतारूँ, भोली माँ

तू जो दे-दे सहारा, सुख जीवन का सारा

तेरे चरणों पे वारूँ, भोली माँ

ओ, माँ, ओ, माँ


लेके पूजा की थाली, ज्योत मन की जगा ली

तेरी आरती उतारूँ, भोली माँ

तू जो दे-दे सहारा, सुख जीवन का सारा

तेरे चरणों पे वारूँ, भोली माँ

ओ, माँ, ओ, माँ


धूल तेरे चरणों की लेकर माथे तिलक लगाया।

हो, धूल तेरे चरणों की लेकर माथे तिलक लगाया।

यही कामना लेकर, मैय्या, द्वार तेरे मैं आया।

रहूँ मैं तेरा हो के, तेरी सेवा में खो के।

सारा जीवन गुज़ारूँ, भोली माँ।

तू जो दे-दे सहारा, सुख जीवन का सारा।

तेरे चरणों पे वारूँ, भोली माँ

ओ, माँ, ओ, माँ


सफल हुआ ये जनम कि मैं था जन्मों से कंगाल।

हो, सफल हुआ ये जनम कि मैं था जन्मों से कंगाल।

तूने भक्ति का धन दे के कर दिया मालामाल।

रहें जब तक ये प्राण, करूँ तेरा ही ध्यान।

नाम तेरा पुकारूँ, भोली माँ।

तू जो दे-दे सहारा, सुख जीवन का सारा।

तेरे चरणों पे वारूँ, भोली माँ

ओ, माँ, ओ, माँ


लेके पूजा की थाली, ज्योत मन की जगा ली।

तेरी आरती उतारूँ, भोली माँ।

तू जो दे-दे सहारा, सुख जीवन का सारा।

तेरे चरणों पे वारूँ, भोली माँ।

ओ, माँ, ओ, माँ

ओ, माँ, ओ, माँ


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भगवान विष्णु का क्यों लिया वामन अवतार

वामन देव की पूजा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। भगवान वामन को श्री हरि का स्वरूप कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधिवत पूजा करने से व्यक्ति को सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।

वामन अवतार की पूजा विधि

वामन द्वादशी का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। यह पर्व हर साल दो बार मनाया जाता है। एक चैत्र मास की द्वादशी तिथि को और दूसरा भाद्रपद मास की द्वादशी तिथि को।

कामदा एकादशी की कथा

एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। वर्षभर में कुल 24 एकादशियां होती हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना अलग महत्व होता है। चैत्र शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है।

अप्रैल में कब-कब हैं एकादशी

हिंदू पंचांग के अनुसार, अप्रैल 2025 में चैत्र और वैशाख माह रहेगा। इस दौरान दो महत्वपूर्ण एकादशी व्रत आएंगे—कामदा एकादशी और वरुथिनी एकादशी।

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