लेके गौरा जी को साथ,
भोले-भाले भोले नाथ,
काशी नगरी से आए हैं शिव शंकर ।
नंदी पे सवार होके डमरू बजाते,
चले आ रहे हैं भोले हरी गुण गाते,
पहेने नरमुंडो की माला ओढ़े तन पर मृग छाला,
काशी नगरी से आए हैं शिव शंकर ।
लेके गौरा जी को साथ,
भोले-भाले भोले नाथ,
काशी नगरी से आए हैं शिव शंकर ॥
हाथ में त्रिशूल लिए भसमी रमाय,
झोली गले में डाले गोकुल में आए,
पहुचे नंद बाबा के द्वार अलख जगाएँ बारम्बार,
काशी नगरी से आए हैं शिव शंकर ।
लेके गौरा जी को साथ,
भोले-भाले भोले नाथ,
काशी नगरी से आए हैं शिव शंकर ॥
कहाँ है यशोदा तेरा कृष्ण कन्हैया,
दरश करादे रानी लू मैं बलैया,
सुनकर नारायण अवतार आया हू मैं तेरे द्वार,
दरस करादे हो मैया मैं आया तेरे द्वार ।
लेके गौरा जी को साथ,
भोले-भाले भोले नाथ,
काशी नगरी से आए हैं शिव शंकर ॥
देखके यशोदा बोली जाओ-बाबा जाओ,
द्वार हमारे तुम ना डमरू बजाओ,
डर जावेगा मेरा लाल जो देखेगा सर्प माल,
जाओ बाबा जी जाओ किसी और द्वार पर ।
लेके गौरा जी को साथ,
भोले-भाले भोले नाथ,
काशी नगरी से आए हैं शिव शंकर ॥
हँस के वो जोगी बोला सुनो महारानी,
दरश करादे मुझे होगी मेहेरबानी,
दरस करादे एक बार देखु कैसा है सुकुमार,
तेरा लल्ला हरी का कहलाता अवतार ।
लेके गौरा जी को साथ,
भोले-भाले भोले नाथ,
काशी नगरी से आए हैं शिव शंकर ॥
सोया है कन्हैया मेरा मैं आ जगाऊं,
तेरी बातो में बाबा हरगिज़ ना आऊँ,
मेरा नन्हा सा गोपाल तू कोई जादू देगा डाल,
मैं ना लाऊँ मेरा लाल यूँ हट ना कर ।
लेके गौरा जी को साथ,
भोले-भाले भोले नाथ,
काशी नगरी से आए हैं शिव शंकर ॥
इतनी सुनके भोला हँसे खिलखिला के,
बोला यशोदा से डमरू बजाके,
देखो जाकर अपना लाल आने को वो है बहाल,
दरस करादे एक बार देखु कैसा है सुकुमार ।
लेके गौरा जी को साथ,
भोले-भाले भोले नाथ,
काशी नगरी से आए हैं शिव शंकर ॥
इतने में आए मोहन मुरली बजाते,
ब्रह्मा इंद्राणी जिसका पार ना पाते,
यहाँ गोकुल में ग्वाल घर- घर नाच रहा गोपाल,गौरा
काशी नगरी से आए हैं शिव शंकर ।
लेके गौरा जी को साथ,
भोले-भाले भोले नाथ,
काशी नगरी से आए हैं शिव शंकर ॥
लेके गौरा जी को साथ,
भोले-भाले भोले नाथ,
काशी नगरी से आए हैं शिव शंकर ॥
हनुमान जयंती का पर्व भगवान हनुमान की शक्ति, भक्ति और सेवा का प्रतीक है। इस दिन देशभर में भव्य पूजा-अर्चना, झांकियों और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
हिंदू धर्म में रामभक्त हनुमान का विशेष स्थान है। संकटमोचन हनुमान को प्रसन्न करने के लिए साल में दो बार हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भक्त हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदरकांड और वैदिक मंत्रों का जाप करते हैं।
गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड में श्री हनुमान जी की भक्ति, शक्ति, साहस, सेवा और समर्पण की अनुपम कथा का वर्णन किया गया है।
हनुमान जयंती पर देशभर में भक्त बजरंगबली की पूजा-अर्चना में जुटे हैं। इस बार यह पर्व 12 अप्रैल 2025, शनिवार को मनाया जाएगा।