हार की कोई चिंता नहीं,
पग पग होगी जीत,
लगी रे मेरी लगी रे मेरी,
लगी रे मेरी मैया जी से प्रीत,
मात मात का नगमा गाए,
मात मात का नगमा गाए,
ये जीवन संगीत,
लगी रे मेरी मैया जी से प्रीत ॥
मौज से होने लगा गुजारा,
मैया ने हर काम संवारा,
सन्मुख मिलती मात भवानी,
जब जब माँ को मन से पुकारा,
देती नहीं विश्वास टूटने,
देती नहीं विश्वास टूटने,
माँ अम्बे की रीत,
लगी रे मेरी मैया जी से प्रीत ॥
जब जब मन से माँ को पुकारा,
मैया का संदेसा आया,
मोह लोभ जो लगा भरमाने,
मैया ने खुद आप बचाया,
ऐसा किया मेरी मैया ने जादू,
ऐसा किया मेरी मैया ने जादू,
संवरा भविष्य अतीत,
लगी रे मेरी मैया जी से प्रीत ॥
‘सरल’ भवानी का है चाकर,
हाथ पकड़कर तूने उबारा,
गम के थपेड़ो से डोली थी नैया,
बनके खिवैया मैया तूने तारा,
‘रामकुमार’ डूबेगा कैसे,
‘रामकुमार’ डूबेगा कैसे,
माँ से जिसकी प्रीत,
लगी रे मेरी मैया जी से प्रीत ॥
हार की कोई चिंता नहीं,
पग पग होगी जीत,
लगी रे मेरी लगी रे मेरी,
लगी रे मेरी मैया जी से प्रीत,
मात मात का नगमा गाए,
मात मात का नगमा गाए,
ये जीवन संगीत,
लगी रे मेरी मैया जी से प्रीत ॥
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है और इस साल अक्षय तृतीया का पर्व विशेष रूप से 30 अप्रैल को मनाया जाएगा।
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर किए गए पुण्य कर्म, दान और पूजा का फल अक्षय (अविनाशी) होता है।
अक्षय तृतीया एक अत्यंत शुभ और पवित्र तिथि मानी जाती है। यह वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आती है, जिसे ‘अबूझ मुहूर्त’ कहा जाता है। यानी इस दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती।
अक्षय तृतीया अत्यंत शुभ और फलदायी तिथि मानी जाती है। हिंदू धर्म में यह पर्व विशेष महत्व रखता है, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका फल अक्षय अर्थात् कभी नष्ट न होने वाला होता है। इस दिन धन, सौभाग्य और समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी की विधिवत रूप से पूजा की जाती है।