किस विधि वंदन करू तिहारो,
औघड़दानी त्रिपुरारी
बलिहारी - बलिहारी
जय महेश बलिहारी ॥
नयन तीन उपवीत भुजंगा,
शशि ललाट सोहे सिर गंगा
मुंड माल गल बिच विराजत,
महिमा है भारी ।
बलिहारी - बलिहारी
जय महेश बलिहारी ॥ 1 ॥
कर में डमरू त्रिशुल तिहारे,
कटी में हर वाघंबर धारे
उमा सहित हीम शैल विराजत,
शोभा है न्यारी ।
बलिहारी - बलिहारी
जय महेश बलिहारी ॥ 2 ॥
पल में प्रभु तुम प्रलयंकर,
पर प्रभो सदय उभयंकर
ऋषी मुनि भेद न पाये तिहारो,
हम तो है संसारी ।
बलिहारी - बलिहारी
जय महेश बलिहारी ॥ 3 ॥
अगम निगम तब भेद न जाने,
ब्रम्हा विष्णु सदा शिव माने
देवो के ओ महादेव अब,
रक्षा करो हमारी ।
बलिहारी - बलिहारी
जय महेश बलिहारी ॥ 4 ॥
किस विधि वंदन करू तिहारो,
औघड़दानी त्रिपुरारी
बलिहारी - बलिहारी
जय महेश बलिहारी ॥
आज 08 जुलाई 2025 को आषाढ़ माह का 28वां दिन है। साथ ही आज पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष तिथि त्रयोदशी है। आज मंगलवार का दिन है। सूर्य मिथुन में रहेंगे।
आज 09 जुलाई 2025 को आषाढ़ माह का 29वां दिन है। साथ ही आज पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष तिथि चतुर्दशी है। आज बुधवार का दिन है। सूर्य देव मिथुन राशि में रहेंगे।
हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या कहा जाता है। जब अमावस्या सोमवती यानी सोमवार को आती है, या फिर आषाढ़ जैसे पवित्र महीनों में होती है, तब इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।
हिंदू धर्म में पितृ दोष को अत्यंत गंभीर माना गया है। यह दोष तब उत्पन्न होता है जब पूर्वजों की आत्मा किसी कारणवश अशांत होती है या पितरों का उचित विधि से श्राद्ध, तर्पण या पूजा न की जाए।