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खुल गये सारे ताले वाह क्या बात हो गयी,
जबसे जन्मे कन्हैया करामात हो गयी ॥
श्लोक-कभी नरसिंह बनकर,
पेट हिरणाकुश का वो फाड़े,
कभी अवतार लेकर,
राम का रावण को सँहारे,
कभी श्री श्याम बन करके,
पटक कर कंस को मारे,
दसों गुरुओं का ले अवतार,
वो ही हर रुप थे धारें,
धरम का लोप होकर जब,
पापमय संसार होता है,
दुखी और दीन निर्बल का,
जब हाहाकार होता है,
प्रभु के भक्तो पर जब,
घोर अत्याचार होता है,
तभी संसार मे भगवान का,
अवतार होता है ॥
खुल गये सारे ताले वाह क्या बात हो गयी,
जबसे जन्मे कन्हैया करामात हो गयी,
था घनघोर अँधेरा कैसी रात हो गयी,
जबसे जन्मे कन्हैया करामात हो गयी ॥
था बँदिखाना जनम लिये कान्हा,
द्वापर का ज़माना पुराना,
ताले लगाना पहरे बिठाना,
वो कंस का जुलम ढाना,
उस रात का द्रश्य भयंकर था,
उस कंस को मरने का डर था,
बादल छाये उमडाये बरसात हो गयी,
जबसे जन्मे कन्हैया करामात हो गयी ॥
खुल गये ताले सोये थे रखवाले,
थे हाथो मे बर्छीया भाले,
दील के वो काले पड़े थे पाले,
वो काल के हवाले होने वाले,
वासुदेव ने श्याम को उठाया था,
टोकरी मे श्री श्याम को लिटाया था,
गोकुल धाये हर्शाये केसी बात हो गई,
जबसे जन्मे कन्हैया करामात हो गयी ॥
घटायें थी काली अजब मतवाली,
और टोकरे मे मोहन मुरारी,
सहस बनधारी करे रख्वारि,
तो जमुना ने बात विचारि,
श्याम आये है भक्तो के हितकारी,
इनके चरणों मे हो जाऊँ बलिहारी,
जाऊँ वारी हमारी मुलाकात हो गई,
जबसे जन्मे कन्हैया करामात हो गयी ॥
छवि नटवर की वो परमेश्वर की,
वो ईश्वर विश्वम्भर की,
ना बात बीदर की ना जमुना के सर की,
देख के झांकी गिरधर की,
वासुदेव डगर ली नंद घर की,
भक्तो ने कथा कही सांवल की,
सफल तंवर की कलम दवात हो गई,
जबसे जन्मे कन्हैया करामात हो गयी ॥
खुल गये सारे ताले वाह क्या बात हो गयी,
जबसे जन्मे कन्हैया करामात हो गयी,
था घनघोर अँधेरा कैसी रात हो गयी,
जबसे जन्मे कन्हैया करामात हो गयी ॥
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