खाटू वाला खुद खाटू से,
तेरे लिए आएगा,
मोरछड़ी ले लीले चढ़के,
संग ख़ुशी लाएगा,
खाटू वाला खुद खाटू से,
तेरे लिए आएगा ॥
तुझको तो बस इतना करना,
श्याम से नेह लगाना है,
दीन दुखी निर्बल का हरदम,
तुझको साथ निभाना है,
तुझपे अपना प्रेम लुटाने,
तेरे लिए आएगा,
मोरछड़ी ले लीले चढ़के,
संग ख़ुशी लाएगा,
खाटू वाला खुद खाटू से,
तेरे लिए आएगा ॥
दुनिया वाले क्या कहते है,
उसपे ना तू विचार कर,
श्याम के आगे करके समर्पण,
जो भी मिले स्वीकार कर,
हार के खुद को तुझको जिताने,
तेरे लिए आएगा,
मोरछड़ी ले लीले चढ़के,
संग ख़ुशी लाएगा,
खाटू वाला खुद खाटू से,
तेरे लिए आएगा ॥
जितनी भी उलझन है ‘मोहित’,
श्याम उसे हल कर देगा,
पापों से मुक्ति देकर के,
जीवन सफल ये कर देगा,
केवट बनकर पार लगाने,
तेरे लिए आएगा,
मोरछड़ी ले लीले चढ़के,
संग ख़ुशी लाएगा,
खाटू वाला खुद खाटू से,
तेरे लिए आएगा ॥
खाटू वाला खुद खाटू से,
तेरे लिए आएगा,
मोरछड़ी ले लीले चढ़के,
संग ख़ुशी लाएगा,
खाटू वाला खुद खाटू से,
तेरे लिए आएगा ॥
क्या है मां के सौलह श्रृंगार का महत्व? जानिए हर श्रृंगार के बारे में विस्तार से
पितृपक्ष की शुरूआत हो चुकी है, ये 16 दिन हमारे पूर्वजों और पितरों को समर्पित होते हैं। इस दौरान किए गए श्राद्ध-तर्पण से घर-परिवार के पितर देवता तृप्त होते हैं और परिवार के लोगों को आशीर्वाद देते हैं।
पितृपक्ष की शुरूआत होते ही हम अपने पूर्वजों का श्राद्ध, तर्पण आदि करने के लिए पवित्र नदियों के तट की तलाश में लग जाते हैं, जहां इस दौरान बहुत भीड़ देखने को मिलती है। सभी लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पवित्र घाटों पर जाकर तर्पण करते हैं।
अगर आप भी चाहते हैं माता के बारे में प्रमुख जानकारी, तो इन चार ग्रंथों में मिलेगा मैय्या की महिमा के गुणगान