कन्हैया हर घडी मुझको,
तुम्हारी याद आती है,
मुझे मोहन रुलाती है,
तुम्हारी याद आती है,
मुझे मोहन रुलाती है,
तुम्हारी याद आती है ॥
तुम्हारी याद में मोहन,
ना हमको नींद आती है,
ये दुनिया की चमक प्यारे,
हमें भी ना सुहाती है,
मेरे दिल से मेरे मोहन,
सदा इतनी सी आती है,
कन्हैया की हूँ मैं जोगन,
मुझे इतना बताती है,
तुझे हरदम बुलाती है,
तुम्हारी याद आती है,
मुझे मोहन रुलाती है,
तुम्हारी याद आती है ॥
जो कुछ भी था दिया तुमने,
वही तुमको चढ़ाते है,
है मेरी आँख में आंसू,
यही तुमको दिखाते है,
भगत की आँख में आंसू,
ना मोहन देख पाते है,
तेरी उल्फत के बिंदु है,
यही तुमको बताते है,
मुझे हरदम जलाती है,
तुम्हारी याद आती है,
मुझे मोहन रुलाती है,
तुम्हारी याद आती है ॥
दया कर दो मेरे मोहन,
तुम्ही दाता कहाते हो,
नैनो में नीर है मेरे,
मुझे तुम क्यूँ रुलाते हो,
चले आओ मेरे मोहन,
तड़प अब सह ना पाई है,
मेरे जीवन की सांसो ने,
तुम्हारी महिमा गाई है,
‘यश’ को दर खिंच लाती है,
तुम्हारी याद आती है,
मुझे मोहन रुलाती है,
तुम्हारी याद आती है ॥
कन्हैया हर घडी मुझको,
तुम्हारी याद आती है,
तुम्हारी याद आती है,
मुझे मोहन रुलाती है,
तुम्हारी याद आती है,
मुझे मोहन रुलाती है,
तुम्हारी याद आती है ॥
इस बार की हनुमान जयंती बेहद खास रहने वाली है। पंचांग के अनुसार, यह पर्व चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत-उपवास रखने और सच्चे मन से हनुमान जी की आराधना करने से मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं।
संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश का एक महत्वपूर्ण व्रत है। इसे हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।
वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत मनाया जाता है, जिसे हिंदू धर्म में अत्यंत फलदायक माना गया है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है, जो विघ्नहर्ता, बुद्धि के दाता और मंगलकर्ता हैं।
वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत मनाया जाता है, जिसे हिंदू धर्म में अत्यंत फलदायक माना गया है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है, जो विघ्नहर्ता, बुद्धि के दाता और मंगलकर्ता हैं।