कलयुग में फिर से आजा, डमरू बजाने वाले (Kalyug Mein Fir Se Aaja Damru Bajane Wale)

कलयुग में फिर से आजा,

डमरू बजाने वाले,

दुःख दर्द सब मिटा जा,

डमरू बजाने वाले ॥


विष पीके तुमने बाबा,

संसार को बचाया,

भैरव के रूप में भी,

महाकाल बनके आया,

दानव को फिर मिटा जा,

तांडव रचाने वाले,

कलयुग मे फिर से आजा,

डमरू बजाने वाले ॥


दानव देव ऋषियों ने,

सबने है तुम्हे ध्याया,

संतो के लिए बाबा,

सातों धाम रचाया,

भक्तो को फिर जगा जा,

उज्जैन वाले बाबा,

कलयुग मे फिर से आजा,

डमरू बजाने वाले ॥


कलयुग में फिर से आजा,

डमरू बजाने वाले,

दुःख दर्द सब मिटा जा,

डमरू बजाने वाले ॥

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इस दिन देवता खेलते हैं होली

रंग पंचमी हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखती है। यह त्योहार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। भक्त वत्सल इस लेख के माध्यम से आपको बता रहे हैं कि कैसे इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी ने पहली बार होली खेली थी।

श्री नृसिंह द्वादशनाम स्तोत्रम्

नरसिंह द्वादशी के दिन भगवान विष्णु के सिंह अवतार की पूजा की जाती है। पौराणिक कथा और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए नरसिंह रूप में अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया था।

हे जग त्राता विश्व विधाता(He Jag Trata Vishwa Vidhata)

हे जग त्राता विश्व विधाता,
हे सुख शांति निकेतन हे।

गिरिजा के छैया, गणपति तुम्हे पुकारूँ (Girija Ke Chheya Ganpati Tumhe Pukaru )

गिरिजा के छैया,
गणपति तुम्हे पुकारूँ,

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