कैलाश शिखर से उतर कर,
मेरे घर आए है भोले शंकर ॥
आ गए है प्रभु गौरा मैया के संग,
आ गए है प्रभु गौरा मैया के संग,
मनभावन रूप ये धर कर,
मेरे घर आए है भोले शंकर,
कैंलाश शिखर से उतर कर,
मेरे घर आए है भोले शंकर ॥
पुत्र कार्तिक गणेश भी संग आए है,
पुत्र कार्तिक गणेश भी संग आए है,
रिद्धि सिद्धि को साथ में ले कर,
मेरे घर आए है भोले शंकर,
कैंलाश शिखर से उतर कर,
मेरे घर आए है भोले शंकर ॥
थाल तुम आरती का सजाओ सखी,
थाल तुम आरती का सजाओ सखी,
सभी मंगल गाओ मिल कर,
मेरे घर आए है भोले शंकर,
कैंलाश शिखर से उतर कर,
मेरे घर आए है भोले शंकर ॥
आज इच्छा होगी सबके दिल की पूरी,
आज इच्छा होगी सबके दिल की पूरी,
पाएंगे दर्शन जी भर कर,
मेरे घर आए है भोले शंकर,
कैंलाश शिखर से उतर कर,
मेरे घर आए है भोले शंकर ॥
कैलाश शिखर से उतर कर,
मेरे घर आए है भोले शंकर ॥
हिंदू धर्म में मंदिर, घर या किसी भी पवित्र स्थान पर पूजा करते समय सिर को ढकने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह माना जाता है कि पूजा के दौरान सिर ढकने से व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ मिलता है। महिलाएं आमतौर पर साड़ी का पल्लू या दुपट्टा और पुरुष रूमाल का उपयोग करते हैं।
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का एक अहम हिस्सा है आरती। लगभग हर घर में सुबह-शाम देवताओं की आरती की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आरती करने के पीछे क्या खास कारण है और आरती के दौरान हम हाथ क्यों फेरते हैं? आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं इसका महत्व क्या है?
सारी दुनिया में बांस ऐसी लकड़ी है जिसे जलाने से लोग दूर भागते हैं। हिंदू धर्म में इसे हमेशा से अशुभ माना गया है। न तो रसोई में और न ही पूजा-पाठ में बांस का इस्तेमाल होता है।
सनातन धर्म में मंत्रों को बहुत शक्तिशाली माना जाता है। ये ध्वनि के ऐसे तरंग हैं जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा को आकर्षित करते हैं। मंत्र जाप प्रभु की आराधना का एक सरल और प्रभावी तरीका है।