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कहा प्रभु से बिगड़ता क्या,
मेरी बिगड़ी बनाने में
मजा क्या आ रहा तुमको,
मुझे दर दर घूमाने में
वे बोले क्यों मेरे पीछे,
पड़ा तू रोज रहता है,
मैं बोला, दूसरा कोई
और बता दो जमाने में
वे बोले कि हजारों हैं,
करूंगा कृपा किस किस पर
मैं बोला साफ ही कह हो,
बचा कुछ नहीं खजाने में
वे बोले होश में बोलो,
नहीं तो रूठ जाऊँगा,
मैं बोला हो बड़े माहिर,
जल्दी रूठ जाने में
कहीं कुछ साधना की है,
वो बोले तो कहा मैंने
सुना है रीझ जाते हो
फकत आंसू बहाने में
वे बोले मेरी मर्जी है
करूंगा जो भी चाहूंगा
मैं बोला कर दो परिवर्तन,
करूणानिधि कहाने में
वे बोले करुणा दया न होती
तो जन राजेश न होते
मैं बोला हर्ज फिर क्या है,
मुझे मुख छवि दिखाने में
कहा प्रभु से बिगड़ता क्या,
मेरी बिगड़ी बनाने में
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