कभी दुर्गा बनके,
कभी काली बनके,
चली आना,
मैया जी चली आना ॥
ब्रम्हचारिणी रूप में आना,
ब्रम्हचारिणी रूप में आना,
भक्ति हाथ ले के,
शक्ति साथ ले के,
चली आना,
मैया जी चली आना ॥
तुम दुर्गा रूप में आना,
तुम दुर्गा रूप में आना,
सिंह साथ ले के,
चक्र हाथ ले के,
चली आना,
मैया जी चली आना ॥
तुम काली रूप में आना,
तुम काली रूप में आना,
खप्पर हाथ ले के,
योगिनी साथ ले के,
चली आना,
मैया जी चली आना ॥
तुम शीतला रूप में आना,
तुम शीतला रूप में आना,
झाड़ू हाथ ले के,
गधा साथ ले के,
चली आना,
मैया जी चली आना ॥
तुम गौरा के रूप में आना,
तुम गौरा के रूप में आना,
माला हाथ ले के,
गणपति साथ ले के,
चली आना,
मैया जी चली आना ॥
कभी दुर्गा बनके,
कभी काली बनके,
चली आना,
मैया जी चली आना ॥
जैसा कि आप सभी जानते हैं मां लक्ष्मी के कुल आठ स्वरूप हैं। वैसे तो दीपावली पर हम सभी मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं लेकिन मां लक्ष्मी के अष्ट स्वरूपों में से प्रत्यक्ष स्वरूप को प्रसन्न करने हेतु मां लक्ष्मी के इन अष्ट स्वरूपों से संबंधित स्त्रोत का पाठ कर आप मनोवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं।
मां लक्ष्मी के आठ स्वरूपों में से आठवां स्वरूप हैं विद्या लक्ष्मी का जो विज्ञान और कला के साथ ज्ञान की देवी हैं। इनकी आराधना करने से इन तीनों चीजों में व्यक्ति वृद्धि और विकास करता है।
धैर्य लक्ष्मी को अष्टलक्ष्मी में पांचवां स्थान मिला है। धैर्य लक्ष्मी की आराधना से हमें धन और जीवन प्रबंधन में मदद मिलती है।
धान्य लक्ष्मी, मां लक्ष्मी का तीसरा रूप हैं जिसे मां अन्नपूर्णा के रूप में भी पूजा गया है। धान्य का अर्थ है अनाज या अन्न। ऐसे में लक्ष्मी इस स्वरूप में अन्न या अनाज के रूप में वास करती हैं।