जो करते रहोगे भजन धीरे धीरे ।
तो मिल जायेगा वो सजन धीरे धीरे ।
जो करते रहोगे भजन धीरे धीरे ।
तो मिल जायेगा वो सजन धीरे धीरे ।
अगर उनसे मिलने की दिल में तमन्ना ।
अगर प्रभु से मिलने की दिल में तमन्ना ।
अगर हरी से मिलने की दिल में तमन्ना ।
करो शुद्ध अन्तःकरन धीरे धीरे ।
जो करते रहोगे भजन धीरे धीरे ।
तो मिल जायेगा वो सजन धीरे धीरे ॥
कोई काम दुनिया में मुश्किल नहीं है ।
जो करते रहोगे यतन धीरे धीरे ।
जो करते रहोगे भजन धीरे धीरे ।
तो मिल जायेगा वो सजन धीरे धीरे ॥
करो प्रेम से भक्ति सेवा हरी की ।
करो प्रेम से भक्ति पूजा हरी की ।
तो मिल जायेगा वो रतन धीरे धीरे ।
जो करते रहोगे भजन धीरे धीरे ।
तो मिल जायेगा वो सजन धीरे धीरे ॥
जो करते रहोगे भजन धीरे धीरे ।
तो मिल जायेगा वो सजन धीरे धीरे ।
प्रत्येक वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जयंती मनाई जाती है। इसे विनायक चतुर्थी अथवा वरद चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।
सनातन हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व को नारी शक्ति और देवी दुर्गा का प्रतीक माना जाता है। यह त्योहार देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा को समर्पित है।
विनायक चतुर्थी भगवान गणेश जी को समर्पित है। यह प्रत्येक महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सभी दुखों का नाश होता है।
माघ शुक्ल की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का उत्सव मनाया जाता है। सनातन धर्म के लोगों के लिए ये दिन बहुत खास होता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन ज्ञान की देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन माता सरस्वती की पूजा की जाती है।