जिसने भी है सच्चे मन से (Jisne Bhi Hai Sacche Man Se)

जिसने भी है सच्चे मन से,

शिव भोले का ध्यान किया,

खुश होकर के शिव भोले ने,

मनचाहा वरदान दिया,

जिसने भी हैं सच्चे मन से,

शिव भोले का ध्यान किया ॥


सब देवों में देव निराला,

मेरा डमरू वाला है,

सौ बातों की एक बात ये,

भक्तो का रखवाला है,

भक्तो का हर काम प्रभु ने,

पल में तुरत संवार दिया,

खुश होकर के शिव भोले ने,

मनचाहा वरदान दिया,

जिसने भी हैं सच्चे मन से,

शिव भोले का ध्यान किया ॥


देवों को अमृत मंथन में,

हिरे मोती लुटा दिए,

जब विष की बारी आई तो,

उसको कैसे कौन पिए,

नीलकंठ था नाम पड़ा तेरा,

जब तुमने विषपान किया,

खुश होकर के शिव भोले ने,

मनचाहा वरदान दिया,

जिसने भी हैं सच्चे मन से,

शिव भोले का ध्यान किया ॥


भांग धतूरा खाकर भोला,

पर्वत ऊपर वास करे,

संग विराजे पार्वती माँ,

जो भक्तो के कष्ट हरे,

शिवशक्ति के सुमिरण ने,

भक्तो का बेड़ा पार किया,

खुश होकर के शिव भोले ने,

मनचाहा वरदान दिया,

जिसने भी हैं सच्चे मन से,

शिव भोले का ध्यान किया ॥


जिसने भी है सच्चे मन से,

शिव भोले का ध्यान किया,

खुश होकर के शिव भोले ने,

मनचाहा वरदान दिया,

जिसने भी हैं सच्चे मन से,

शिव भोले का ध्यान किया ॥

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खरमास माह में तुलसी पूजा का महत्व

सनातन धर्म में तुलसी का खास महत्व है। तुलसी को लक्ष्मी का ही रूप माना जाता है। इसलिए, बिना तुलसी के श्रीहरि की पूजा पूरी नहीं मानी जाती। सभी घरों में सुबह-शाम तुलसी पूजा की जाती है।

अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं (Achyutam Keshavam Krishna Damodaram)

अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।

मुझे झुँझनु में अगला जनम देना (Mujhe Jhunjhunu Me Agla Janam Dena)

मेरी भक्ति के बदले वचन देना,
मुझे झुँझनु में अगला जनम देना ॥

विश्वेश्वर व्रत कथा

सनातन धर्म में प्राचीन काल से ही विश्वेश्वर व्रत भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत पवित्र व्रत है। इस व्रत को शिव जी की कृपा प्राप्त करने के उद्देश्य से रखा जाता है।

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