जिंदगी में हजारों का मेला जुड़ा(Jindagi Me Hajaro Ka Mela Juda)

जिंदगी में हजारों का मेला जुड़ा,

हंस जब-जब उड़ा तब अकेला उड़ा ।

काल से बच ना पाएगा छोटा बड़ा,

हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा ॥


ठाट सारे पड़े के पड़े रह गये,

सारे धनवा गढ़े के गढ़े रेह गये,

अन्त मे लखपति को ना ढेला मिला,

हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा ॥


बेबसो को सताने से क्या फायदा,

झूठ अपजस कमाने से क्या फायदा,

दिल किसी का दुखाने से क्या फायदा,

नीम के सथ जेसे करेला जुड़ा,

हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा ॥


राज राजे रहे, ना वो रानी रही,

ना बुढ़ापा रहा, ना जवानी रही,

ये तो कहने को केवल कहानी रही,

चार दिन का जगत मे झमेला रहा,

हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा ॥


जिंदगी में हजारों का मेला जुड़ा,

हंस जब-जब उड़ा तब अकेला उड़ा ।

काल से बच ना पाएगा छोटा बड़ा,

हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा ॥

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माँ दुर्गे आशीष दो (Maa Durge Ashish Do)

माँ दुर्गे आशीष दो माँ दुर्गे आशीष दो
मन मे मेरे वास हो तेरा चरणो संग प्रीत हो ॥

प्रेम रंग से भरी ये ब्रज की होरी लागे (Prem Rang Se Bhari Brij Ki Holi Lage)

गोरी राधिका आई,
रंग भरी वो प्यार के,

भोले की किरपा, जिस पर भी रहती है (Bhole Ki Kripa Jis Par Bhi Rahti Hai)

भोले की किरपा,
जिस पर भी रहती है,

मासिक शिवरात्रि पर जरूर करें ये उपाय

शिव पुराण में मासिक शिवरात्रि की महिमा का उल्लेख मिलता है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए बेहद खास माना जाता है।

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