झूमर झलके अम्बा ना,
गोरा गाल पे रे,
गोरा गाल पे रे,
लम्बा बाल पे रे,
झुमर झलके अम्बा ना,
गोरा गाल पे रे ॥
ऐ भई रे भई रे,
कुम्हारा तने विनवु रे,
म्हारी माता सारू,
दीवड़ा लई आवजो रे,
झुमर झलके अम्बा ना,
गोरा गाल पे रे ॥
ऐ भई रे भई रे,
सोनीड़ा तने विनवु रे,
म्हारी माता सारू,
झांझरिया लई आवजो रे,
झुमर झलके अम्बा ना,
गोरा गाल पे रे ॥
ऐ भई रे भई रे,
जोशीड़ा तने विनवु रे,
म्हारी माता सारू,
चुंदड़ी लई आवजो रे,
झुमर झलके अम्बा ना,
गोरा गाल पे रे ॥
ऐ भई रे भई रे,
मालीड़ा तने विनवु रे,
म्हारी माता सारू,
गजरा लई आवजो रे,
झुमर झलके अम्बा ना,
गोरा गाल पे रे ॥
ऐ भई रे भई रे,
ढोलीड़ा तने विनवु रे,
म्हारी माता सारू,
ढोल वगाडजो रे,
झुमर झलके अम्बा ना,
गोरा गाल पे रे ॥
ऐ भई रे भई रे,
वणजारा तने विनवु रे,
म्हारी माता सारू,
चुड़ला लई आवजो रे,
झुमर झलके अम्बा ना,
गोरा गाल पे रे ॥
झूमर झलके अम्बा ना,
गोरा गाल पे रे,
गोरा गाल पे रे,
लम्बा बाल पे रे,
झुमर झलके अम्बा ना,
गोरा गाल पे रे ॥
रंग पंचमी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे होली के पांचवें दिन मनाया जाता है। इसे बसंत महोत्सव के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा करने का महत्व बताया गया है।
अप्रैल का महीना वसंत ऋतु की सुंदरता और त्योहारों की धूमधाम के साथ एक विशेष महत्व रखता है। यह माह प्रकृति के रंग-बिरंगे रूप को दर्शाता है। इस समय कई धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व मनाए जाते हैं जो हमारी संस्कृति और परंपराओं को दर्शाते हैं।
पापमोचनी एकादशी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है, और मोक्ष की प्राप्ति करता है।
पापमोचनी एकादशी भगवान विष्णु की पूजा को समर्पित है जो चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह उपवास सभी पापों से छुटकारा पाने और मोक्ष प्राप्त करने के लिये रखा जाता है।