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झूला पड्यो है कदम्ब की डार (Jhula Padyo Hai Kadamb Ki Daar)

झूला पड्यो है कदम्ब की डार (Jhula Padyo Hai Kadamb Ki Daar)

झूला पड्यो है कदम्ब की डार,

झुलावे ब्रज नारी,

ब्रज नारी रे ब्रज नारी,

ब्रज नारी सखियाँ सारी,

झूला पड्यो हैं कदम्ब की डार,

झुलावे ब्रज नारी ॥


रेशम की सखी डोरी पड़ी है,

मोतियन से कैसी पटरी जड़ी है,

वा में बैठे युगल सरकार,

झुलावे ब्रज नारी,

झूला पड्यो हैं कदम्ब की डार,

झुलावे ब्रज नारी ॥


मधुर मधुर श्याम बंसी बजावत,

बंसी बजावत रस बरसावत,

नन्ही नन्ही पड़त है फुहार,

झुलावे ब्रज नारी,

झूला पड्यो हैं कदम्ब की डार,

झुलावे ब्रज नारी ॥


श्याम राधिका झूला झूले,

गोपी ग्वाल देखे फुले,

सब गावत है मल्हार,

झुलावे ब्रज नारी,

झूला पड्यो हैं कदम्ब की डार,

झुलावे ब्रज नारी ॥


झूला पड्यो है कदम्ब की डार,

झुलावे ब्रज नारी,

ब्रज नारी रे ब्रज नारी,

ब्रज नारी सखियाँ सारी,

झूला पड्यो हैं कदम्ब की डार,

झुलावे ब्रज नारी ॥

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मंगलवार की पूजा विधि

हिंदू धर्म में मंगलवार का दिन विशेष रूप से हनुमान जी से जुड़ा हुआ है। यह दिन उनके भक्तों द्वारा पूजा-अर्चना करने के लिए निर्धारित किया गया है।

माघ गुप्त नवरात्रि विशेष उपाय

साल 2025 की पहली गुप्त नवरात्रि 30 जनवरी से प्रारंभ हो रही है। माघ मास में पड़ने के कारण यह गुप्त नवरात्रि बेहद खास होती है। इस बार माघ मास में महाकुंभ भी है। ऐसे में इस गुप्त नवरात्रि का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।

बुधवार की पूजा विधि

हिंदू धर्म में बुधवार का दिन विशेष रूप से भगवान गणेश को समर्पित है। गणेश जी को विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता माना जाता है, और बुधवार को उनका पूजन विशेष फलदायी माना जाता है।

कितने दिन रहेगी माघ गुप्त-नवरात्रि

सनातन हिंदू धर्म में विभिन्न त्योहार मनाए जाते हैं। नवरात्रि भी इन्हीं में से एक है। एक साल में 4 बार नवरात्रि मनाई जाती है। इनमें से 2 नवरात्रि प्रत्यक्ष और 2 गुप्त मानी जाती हैं।

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