जन्मे जन्मे कृष्ण कन्हाई,
बधाई दे दे री मैया,
दे दे री मैया,
बधाई दे दे री मैया,
जन्में जन्में कृष्ण कन्हाई,
बधाई दे दे री मैया ॥
ब्रम्हा आए विष्णु आए,
आए श्री महेश,
रिद्धि सिद्धि लेकर आए,
आए श्री गणेश,
जन्में जन्में कृष्ण कन्हाई,
बधाई दे दे री मैया ॥
लक्ष्मी आई शारदा आई,
आई गौरा मैया,
तेरे लला की नज़र की उतारे,
ले रही मात बलैया,
जन्में जन्में कृष्ण कन्हाई,
बधाई दे दे री मैया ॥
सारे नगर में धूम मची है,
बजे ढोल शहनाई,
नन्द बाबा गोकुल घर घर में,
बांटे आज मिठाई,
जन्में जन्में कृष्ण कन्हाई,
बधाई दे दे री मैया ॥
पाप मिटाने इस धरती पर,
तारणहार है आए,
लिखता है ‘लोकेश प्रजापति’,
‘भावना’ भाव से गाए,
जन्में जन्में कृष्ण कन्हाई,
बधाई दे दे री मैया ॥
जन्मे जन्मे कृष्ण कन्हाई,
बधाई दे दे री मैया,
दे दे री मैया,
बधाई दे दे री मैया,
जन्में जन्में कृष्ण कन्हाई,
बधाई दे दे री मैया ॥
नवरात्रि के नौवें दिन को महानवमी कहा जाता है। इस सभी प्रकार की सिद्धियों की दात्री, मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन माता के भक्त विशेष पूजा विधि के साथ मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। साथ ही इस दिन कन्या पूजन और हवन का भी विशेष आयोजन होता है। इस माध्यम से भक्त अपने जीवन में सफलता, शांति, और समृद्धि की कामना और प्राप्ति करते हैं।
माता के सप्तम स्वरूप के रूप में मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इनकी पूजा से शक्ति की प्राप्ति होती है। माता के कालरात्रि पूजा की नवरात्रि की सप्तमी तिथि को की जाती है, इस दिन घरों में अपने अपने कुल देवी-देवता की पूजन होती है और साथ ही ये दिन सप्त मातृकाओं की पूजा का भी है।
भारतीय परंपरा में विजयादशमी भगवान श्रीराम की लंका अधिपति रावण के ऊपर विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाने वाला उत्सव है।
नवरात्रि मतलब देवी आराधना के नौ पवित्र दिन। इन नौ दिनों तक भक्त मैया की आराधना करते हैं और आखिरी में मैय्या रानी की प्रतिमा का विसर्जन करते हैं।