जन्मे अवध में, दशरथ के ललना (Janme Awadh Mein Dashrath Ke Lalna)

जन्मे अवध में,

दशरथ के ललना,

बाजे शंख और नगाड़े,

कौशल्या अंगना,

जन्में अवध में,

दशरथ के ललना ॥


त्रेतायुग में विष्णु जी ही,

राम रूप अवतारे,

धरा धाम को धन्य किए थे,

मानव तन को धारे,

आज झूल रहे स्वयं हरि,

चांदी पलना,

जन्में अवध में,

दशरथ के ललना ॥


मर्यादा पुरषोत्तम जग में,

रघुनन्दन कहलाए,

दीनदयालु पालनहारे,

न्याय ध्वजा फहराए,

तीनों लोको में बह रही,

राम रसना,

जन्में अवध में,

दशरथ के ललना ॥


प्रभु राम के श्री चरणों में,

वंदन बारम्बार है,

बड़ा राम से नाम राम का,

महिमा अपरम्पार है,

करे सुमिरण ‘चोखानी’,

भर आए नैना,

जन्में अवध में,

दशरथ के ललना ॥


जन्मे अवध में,

दशरथ के ललना,

बाजे शंख और नगाड़े,

कौशल्या अंगना,

जन्में अवध में,

दशरथ के ललना ॥

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ना जाने आज क्यो फिर से, तुम्हारी याद आई है (Na Jaane Aaj Kyu Fir Se Tumhari Yaad Aayi Hai)

ना जाने आज क्यों फिर से,
तुम्हारी याद आई है ॥

श्री कृष्ण छठी की पौराणिक कथा (Shri Krishna Chhathi Ki Pauranik Katha)

भाद्रपद मास की छठी के दिन पूजा करने से भगवान होते हैं प्रसन्न, जानिए क्या है कृष्ण छठी की पौराणिक कथा

रानी सती आज मेरे घर आई(Rani Sati Aaj Mere Ghar Aayi)

रानी सती आज मेरे घर आई,
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गुरु शिव को बना लीजिए (Guru Shiv Ko Bana Lijiye)

गुरु शिव को बना लीजिए,
भक्ति से घर सजा लीजिये ॥

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