जैसे होली में रंग, रंगो में होली (Jaise Holi Mein Rang Rango Mein Holi)

जैसे होली में रंग,

रंगो में होली

वैसे कान्हा मेरा,

मैं कान्हा की हो ली

रोम रोम मेरा,

कान्हा से भरा

अब कैसे में खेलूँ री,

आँखमिचोली ॥


मैं तो कान्हा से मिलने अकेली चली,

संग संग मेरे,

सारे रंग चले,

ज़रा बचके रहो,

ज़रा हटके चलो,

बड़ी नटखट है,

नव रंगों की टोली ॥


अब तो तन मन पे श्याम रंग चढा,

कंचन के तन रतन जडा,

बनठन के मैं बैठी,

दुल्हन की तरहा,

कान्हा लेके चला,

मेरे प्रेम की डोली ॥


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वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,

गोबिंद चले चरावन गैया (Gobind Chale Charavan Gaiya)

गोबिंद चले चरावन गैया ।
दिनो है रिषि आजु भलौ दिन,

ललिता देवी मूल मंत्र और स्तोत्र

ललिता जयंती का पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। अगर व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ मां की पूजा करे तो मां उसे शक्ति प्रदान करती हैं।

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