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जय जय गणपति गजानंद, तेरी जय होवे (Jai Jai Ganpati Gajanand Teri Jai Hove)

जय जय गणपति गजानंद, तेरी जय होवे (Jai Jai Ganpati Gajanand Teri Jai Hove)

जय जय गणपति गजानंद,

तेरी जय होवे,

जाऊं तोपे बलिहारी,

तेरी जय होवे,

जय जय गणपति गजानन्द,

तेरी जय होवे ॥


रिद्धि सिद्धि के दाता,

आप कहाते हो,

बिगड़ी हम सब की,

बाबा आप बनाते हो,

जय जय गिरिजा के नंदन,

जय जय गिरिजा के नंदन,

तेरी जय होवे,

जय जय गणपति गजानन्द,

तेरी जय होवे ॥


तेरा गजमुख रूप,

सभी भक्तों को भाया है,

सब देवो ने मिलकर,

गुणगान सुनाया है,

तेरी सुंदर मोहिनी मूरत,

तेरी सुंदर मोहिनी मूरत,

तेरी जय होवे,

जय जय गणपति गजानन्द,

तेरी जय होवे ॥


सेवा में खड़े है तेरी,

आज पधारो जी,

गोते खाये ये नैया,

आज सम्भालो जी,

कही डूब ना जाये जीवन,

कही डूब ना जाये जीवन,

तेरी जय होवे,

जय जय गणपति गजानन्द,

तेरी जय होवे ॥


जय जय गणपति गजानंद,

तेरी जय होवे,

जाऊं तोपे बलिहारी,

तेरी जय होवे,

जय जय गणपति गजानन्द,

तेरी जय होवे ॥

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माघ में कब है कालाष्टमी व्रत

सनातन हिंदू धर्म में माघ महीने को अत्यंत पवित्र सौभाग्यशाली और भाग्य वर्धक माना जाता है। इस पवित्र महीने में धार्मिक कार्य, व्रत, दान एवं पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है।

कालाष्टमी व्रत के उपाय

माघ माह की शुरुआत मकर संक्रांति के दिन से होती है। इस महीने पड़ने वाली कालाष्टमी पर्व का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है। इस दिन भगवान शिव के उग्र रूप, काल भैरव की पूजा होती है।

सकट चौथ व्रत कथा

सकट चौथ पर भगवान गणेश की पूजा के साथ-साथ व्रत कथा का पाठ करना भी अनिवार्य माना जाता है। ऐसा करने से व्रतधारी को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और उसके जीवन से सभी संकट दूर हो जाते हैं।

कालाष्टमी पूजा विधि

सनातन हिन्दू धर्म में कालाष्टमी का काफी महत्व होता है। कालाष्टमी भगवान काल भैरव को समर्पित होता है। इस दिन काल भैरव के पूजन से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। ये पर्व हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

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