जगत के रंग क्या देखूं (Jagat Ke Rang Kya Dekhun)

जगत के रंग क्या देखूं,

तेरा दीदार काफी है ।

क्यों भटकूँ गैरों के दर पे,

तेरा दरबार काफी है ॥


नहीं चाहिए ये दुनियां के,

निराले रंग ढंग मुझको,

निराले रंग ढंग मुझको ।

चली जाऊँ मैं वृंदावन,

तेरा श्रृंगार काफी है ॥

॥जगत के रंग क्या देखूं...॥


जगत के साज बाजों से,

हुए हैं कान अब बहरे,

हुए हैं कान अब बहरे ।

कहाँ जाके सुनूँ बंशी,

मधुर वो तान काफी है ॥

॥जगत के रंग क्या देखूं...॥


जगत के रिश्तेदारों ने,

बिछाया जाल माया का

बिछाया जाल माया का ।

तेरे भक्तों से हो प्रीति,

श्याम परिवार काफी है ॥

॥जगत के रंग क्या देखूं...॥


जगत की झूटी रौनक से,

हैं आँखें भर गयी मेरी

हैं आँखें भर गयी मेरी ।

चले आओ मेरे मोहन,

दरश की प्यास काफी है ॥

॥जगत के रंग क्या देखूं...॥


जगत के रंग क्या देखूं,

तेरा दीदार काफी है ।

क्यों भटकूँ गैरों के दर पे,

तेरा दरबार काफी है ॥

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मेरी मैया तू एक बार आजा, दर्श दिखा जा(Meri Maiya Tu Ek Baar Aaja Darsh Dikha Jaa)

मेरी मैया तू एक बार आजा,
हाँ दर्श दिखा जा,

काशी के कोतवाल काल भैरव

काशी के राजा भगवान विश्वनाथ और कोतवाल भगवान काल भैरव की जोड़ी हिंदू पौराणिक कथाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

मीरा दीवानी हो गयी रे (Meera Deewani Ho Gayi Re..)

मीरा दीवानी हो गयी रे, मीरा दीवानी हो गयी ।
मीरा मस्तानी हो गयी रे, मीरा मस्तानी हो गयी ॥

जो भी भला बुरा है, श्री राम जानते है (Jo Bhi Bhala Bura Hai Shri Ram Jante Hain)

जो भी भला बुरा है,
श्री राम जानते है,

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