जय राधे कृष्णा,
जय राधे कृष्णा,
जय राधे कृष्णा हरे हरे ॥
जब भी नैन मूंदो,
जब भी नैन खोलो,
राधे कृष्णा बोलो,
राधे कृष्णा बोलो,
जय राधे कृष्णा,
जय राधे कृष्णा,
जय राधे कृष्णा हरे हरे ॥
वृंदावन ब्रज की राजधानी,
यहाँ बसे ठाकुर ठकुरानी,
मधुर मिलन की साक्षी देते,
सेवा कुञ्ज और यमुना का पानी,
सेवा कुञ्ज और यमुना का पानी,
पूण्य प्रेम रस में आत्मा भिगोलो,
जब भी नैन मुंदो,
जब भी नैन खोलो,
राधे कृष्णा बोलो,
राधे कृष्णा बोलो ॥
कृष्ण राधिका एक है,
इनमे अंतर नाही,
राधे को आराध लो,
कृष्णा तभी मिल जाए,
प्रथक प्रथक कभी इनको ना तोलो,
जब भी नैन मुंदो,
जब भी नैन खोलो,
राधे कृष्णा बोलो,
राधे कृष्णा बोलो ॥
जब भी नैन मूंदो,
जब भी नैन खोलो,
राधे कृष्णा बोलो,
राधे कृष्णा बोलो
जय राधे कृष्णा,
जय राधे कृष्णा,
जय राधे कृष्णा हरे हरे ॥
सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि,चन्द्र सहोदरि हेममये ,
मुनिगणमण्डित मोक्षप्रदायनि,मञ्जुळभाषिणि वेदनुते।
व्रत करने वाला पूर्णिमा व संक्रान्ति के दिन सायंकाल को स्नानादि से निवृत होकर पूजा-स्थान में आसन पर बैठ कर श्रद्धा पूर्वक गौरी, गणेश, वरूण, विष्णु आदि सब देवताओं का ध्यान करके पूजन करें और संकल्प करें कि मैं सत्यनारायण स्वामी का पूजन तथा कथा-श्रवण सदैव करूंगा ।
भगवती महालक्ष्मी चल एवं अचल, दृश्य एवं अदृश्य सभी सम्पत्तियों, सिद्धियों एवं निधियों की अधिष्ठात्री साक्षात् नारायणी हैं।
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम।
जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके,कहां उसे विश्राम।