हमारा नहीं कोई रे तेरे बिना राम
हमारा नहीं कोई रे तेरे बिना राम
हमारा नहीं कोई रे तेरे बिना राम
हमारा नहीं कोई रे,
हमारा नहीं कोई रे, तेरे बिना राम
भाई बंधु सब कुटुंब कबीला
भाई बंधु सब कुटुंब कबीला
सहारा नहीं कोई रे, तेरे बिना राम
हमारा नहीं कोई रे तेरे बिना राम
हमारा नहीं कोई रे तेरे बिना राम
गहरी नदिया नाव पुरानी
गहरी नदिया नाव पुरानी
किनारा नहीं कोई रे, तेरे बिना राम
हमारा नहीं कोई रे तेरे बिना राम
हमारा नहीं कोई रे तेरे बिना राम
हमारा नहीं कोई रे तेरे बिना राम
हमारा नहीं कोई रे तेरे बिना राम
हमारा नहीं कोई रे तेरे बिना राम
हमारा नहीं कोई रे,
सनातन धर्म में भीष्म अष्टमी का दिन अत्यंत शुभ माना गया है। यह महाभारत काल से जुड़ा हुआ है, जिसमें अनेक शिक्षाएं निहित हैं। महाप्रतापी योद्धा भीष्म पितामह को इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था, जिसके कारण वे अपनी इच्छा से प्राण त्याग सकते थे।
भीष्म पितामह गंगा और महाराज शांतनु के आठवें पुत्र थे। गंगा ने अपने पहले सात पुत्रों को जन्म लेते ही नदी में प्रवाहित कर दिया था। इसके पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है।
सनातन धर्म में एक साल में कुल 24 एकादशी आती है। इनमें से माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी मनाई जाती है। सनातन धर्म में एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होता है।
सनातन धर्म में भीष्म अष्टमी का विशेष महत्व माना गया है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को ‘भीष्म अष्टमी’ कहा जाता है।