हम राम जी के, राम जी हमारे हैं (Hum Ram Ji Ke Ram Ji Hamare Hain)

हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।

हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।


मेरे नयनो के तारे है ।

सारे जग के रखवाले है ।


हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।

हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।


एक भरोसो एक बल,

एक आस विश्वास ।

एक राम घनश्याम हित,

जातक तुलसी दास ।


हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।

हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।


जो लाखो पापियों को तारे है ।

जो अधमन को उद्धारे है ।

हम उनकी शरण पधारे है ।


हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।

हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।


शरणागत आर्त निवारे है ।

हम इनके सदा सहारे है ।


हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।

हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।


गणिका और गिद्ध उद्धारे है ।

हम खड़े उन्हीके के द्वारे है ।


हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।

हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।


हम राम जी के, राम जी हमारे हैं।

हम राम जी के, राम जी हमारे हैं।

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16 सोमवार व्रत कथा (16 Somavaar Vrat Katha)

एक समय श्री महादेवजी पार्वती के साथ भ्रमण करते हुए मृत्युलोक में अमरावती नगरी में आए। वहां के राजा ने शिव मंदिर बनवाया था, जो कि अत्यंत भव्य एवं रमणीक तथा मन को शांति पहुंचाने वाला था। भ्रमण करते सम शिव-पार्वती भी वहां ठहर गए।

इतना तो करना स्वामी, जब प्राण तन से निकले( Itna to Karna Swami Jab Pran Tan Se Nikle)

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जब प्राण तन से निकले

छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना (Cham Cham Nache Dekho Veer Hanumana)

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भोले तेरे चरणों की (Bhole Tere Charno Ki)

भोले तेरे चरणों की,
गर धूल जो मिल जाए,

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