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होली आई रे होली आई रे होली आई वृन्दावन खेले गोरी ॥
भागन पे आयो है फागण महीना कभू प्रेम की होरी बईं न,
हिरदये की आशा लता खिली है उमगी उमगी रस धारा वही है,
खूब चली पिचकारी रे पिचकारी चला दो भर जोरि,
होली आई रे होली आई रे होली आई वृन्दावन खेले गोरी ॥
गोरी रंगीली होरी खेलन को आओ,
सोला शृंगार कर खेलन पधारो,
ढोलक मंजीरा और जांज बजाओ,
सखियाँ की सेना लेके नाचन को आओ,
घर घर से बन आई बन आई शक्ल ब्रिज की गोरी,
होली आई रे होली आई रे होली आई वृन्दावन खेले गोरी ॥
जा जा निर्मोही छेला मोह से न करो बात,
छलियाँ निर्मोही तुमको करो धात,
मीठी मीठी बातन से मन न लुभाओ ,
मैं तो हारी मोहे अब न सताओ,
मैंने परख ले चतुराई रे ,
चतुराई परख ले अब टोरी,
होली आई रे होली आई रे होली आई वृन्दावन खेले गोरी ॥
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