होली आई रे होली आई रे(Holi Ae Re Holi Aae Re)

होली आई रे होली आई रे होली आई वृन्दावन खेले गोरी ॥

भागन पे आयो है फागण महीना कभू प्रेम की होरी बईं न,

हिरदये की आशा लता खिली है उमगी उमगी रस धारा वही है,

खूब चली पिचकारी रे पिचकारी चला दो भर जोरि,

होली आई रे होली आई रे होली आई वृन्दावन खेले गोरी ॥


गोरी रंगीली होरी खेलन को आओ,

सोला शृंगार कर खेलन पधारो,

ढोलक मंजीरा और जांज बजाओ,

सखियाँ की सेना लेके नाचन को आओ,

घर घर से बन आई बन आई शक्ल ब्रिज की गोरी,

होली आई रे होली आई रे होली आई वृन्दावन खेले गोरी ॥


जा जा निर्मोही छेला मोह से न करो बात,

छलियाँ निर्मोही तुमको करो धात,

मीठी मीठी बातन से मन न लुभाओ ,

मैं तो हारी मोहे अब न सताओ,

मैंने परख ले चतुराई रे ,

चतुराई परख ले अब टोरी,

होली आई रे होली आई रे होली आई वृन्दावन खेले गोरी ॥

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बिन पानी के नाव (Bin Pani Ke Naav)

बिन पानी के नाव खे रही है,
माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥

ऐसो चटक मटक सो ठाकुर (Aiso Chatak Matak So Thakur)

ऐसो चटक मटक सो ठाकुर
तीनों लोकन हूँ में नाय

श्री पार्वती चालीसा (Shri Parvati Chalisa)

जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि,

शिव द्वादशज्योतिर्लिङ्ग स्तोत्रम् (Shiv Dwadash Jyotirlinga Stotram)

सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्येज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम्।
भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णतं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये॥1॥

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