हे सरस्वती माँ ज्ञान की देवी किरपा करो(Hey Saraswati Maa Gyan Ki Devi Kirpa Karo)

हे सरस्वती माँ ज्ञान की देवी किरपा करो

देकर वरदान हे मात मेरा अज्ञान हरो

करुनामई है तू वरदानी कमल तेरे कर साजे है

आनंद मंगल कर देती है जिस घर मात विराजे है,

ज्ञान से तेरे सरस्वती माँ अँध्यारो का नाश हुआ

समृधि आई उस घर माँ जिस घर तेरा वास हुआ

अपनी महिमा से घर मेरा खुशियों से भरो

देकर वरदान हे मात मेरा अज्ञान हरो


सात सुरों की देवी हो तुम सात सुरों में वास तेरा

सरगम से गूंजे ये धरती सरगम से आकाश तेरा

तेरी किरपा से सरस्वती माँ मंगल सब हो जाता है

जिसके कंठ विराजे माता बिगड़ा भग्य बन जाता है

मेरे भी सारे काज मात तूम पूरण करो

देकर वरदान हे मात मेरा अज्ञान हरो


वीणा धारनी विपदा हारनी कितनी पावन हो माता

देव ऋषि तुम्हे नमन करे माँ दर्शन तेरा मन भाता

गुनी जनों की हो हित कारी सब को शरण लगाती हु

जिसकी वाणी में बस जाओ माला माल बनाती हो

हम दीं हीन पे मात मेरी तुम ध्यान धरो

देकर वरदान हे मात मेरा अज्ञान हरो

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पार्वती जी की पूजा विधि

शुक्रवार का दिन देवी पार्वती सहित सभी स्त्री देवी-स्वरूपों की पूजा के लिए समर्पित है। यह दिन माता पार्वती को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख, समृद्धि और सौभाग्य लाने का उत्तम समय है।

जानकी स्तुति - भई प्रगट कुमारी (Janaki Stuti - Bhai Pragat Kumari)

भई प्रगट कुमारी
भूमि-विदारी

अहोई अष्टमी का महत्व और मुहूर्त

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जल जाये जिह्वा पापिनी, राम के बिना (Jal Jaaye Jihwa Papini, Ram Ke Bina)

राम बिना नर ऐसे जैसे,
अश्व लगाम बिना ।

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