हे गणनायक जय सुखदायक (Hey Gananayak Jai Sukhdayak)

हे गणनायक जय सुखदायक,

जय गणपति गणराज रे,

गणपति नमः गणपति नमः,

गणपति नमः गणपति नमः ॥


शंकर सुवन भवानी के नंदन,

गौरी पुत्र गणेश, गौरी पुत्र गणेश,

जो कोई मानव तुझको ध्यावे,

मिट जाए सब क्लेश,

विघ्नविनायक कष्टनिवारक,

हे गणपति गणराज रे,

गणपति नमः गणपति नमः,

गणपति नमः गणपति नमः ॥


लम्बोदर गजवदनविनायक,

मन में करो बसेरा, मन में करो बसेरा,

दर्शन पाकर तुम्हरा दाता,

हो जाए दूर अँधेरा,

ऐसी शक्ति दे दो मुझको,

जपते रहे तेरा नाम रे,

गणपति नमः गणपति नमः,

गणपति नमः गणपति नमः ॥


गौरी के तुम पुत्र कहाओ,

मूषक वाहन सवारी, मूषक वाहन सवारी,

भरी सभा में आज तू भगवन,

राखो लाज हमारी,

भक्तन के तुम हो रखवारे,

पुरे करो सब काम रे,

गणपति नमः गणपति नमः,

गणपति नमः गणपति नमः ॥


हे गणनायक जय सुखदायक,

जय गणपति गणराज रे,

गणपति नमः गणपति नमः,

गणपति नमः गणपति नमः ॥


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गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का मुहूर्त

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा का विधान है। इसी लिए विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता गणेश जी को समर्पित गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि का बनी रहती है।

सत्यनारायण व्रत की महत्वपूर्ण बातें

सनातन धर्म में भगवान सत्यनारायण की पूजा का विशेष महत्व है, जो विशेष दिनों में और नियम से करने की सलाह दी जाती है। यह पूजा भगवान सत्यनारायण को समर्पित होती है।

भगवान कार्तिकेय के प्रमुख मंदिर

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक चंद्र मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था। इसलिए भक्त हर महीने इस तिथि को उनका जन्मोत्सव मनाते हैं।

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