हे गणनायक जय सुखदायक,
जय गणपति गणराज रे,
गणपति नमः गणपति नमः,
गणपति नमः गणपति नमः ॥
शंकर सुवन भवानी के नंदन,
गौरी पुत्र गणेश, गौरी पुत्र गणेश,
जो कोई मानव तुझको ध्यावे,
मिट जाए सब क्लेश,
विघ्नविनायक कष्टनिवारक,
हे गणपति गणराज रे,
गणपति नमः गणपति नमः,
गणपति नमः गणपति नमः ॥
लम्बोदर गजवदनविनायक,
मन में करो बसेरा, मन में करो बसेरा,
दर्शन पाकर तुम्हरा दाता,
हो जाए दूर अँधेरा,
ऐसी शक्ति दे दो मुझको,
जपते रहे तेरा नाम रे,
गणपति नमः गणपति नमः,
गणपति नमः गणपति नमः ॥
गौरी के तुम पुत्र कहाओ,
मूषक वाहन सवारी, मूषक वाहन सवारी,
भरी सभा में आज तू भगवन,
राखो लाज हमारी,
भक्तन के तुम हो रखवारे,
पुरे करो सब काम रे,
गणपति नमः गणपति नमः,
गणपति नमः गणपति नमः ॥
हे गणनायक जय सुखदायक,
जय गणपति गणराज रे,
गणपति नमः गणपति नमः,
गणपति नमः गणपति नमः ॥
हिंदू धर्म में, सूर्यदेव का विशेष स्थान है। वे नवग्रहों में प्रमुख माने जाते हैं। साथ ही स्वास्थ्य, ऊर्जा और सकारात्मकता के प्रतीक हैं।
माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्म अष्टमी मनाई जाती है। कहा जाता है कि इसी दिन बाणों की शय्या पर लेटे भीष्म पितामह ने अपने प्राण त्याग किए थे। इसलिए सनातन धर्म में यह तिथि अत्यंत शुभ मानी गई है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत के युद्ध में गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी भीष्म पितामह ने अपने इच्छामृत्यु के वरदान के कारण तत्काल देह त्याग नहीं किया।
भीष्म अष्टमी सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह दिन विशेष रूप से पितरों को समर्पित होता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनके वंश में संतान नहीं होती। यह पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।