हरि तुम हरो जन की भीर(Hari Tum Haro Jan Ki Bhir)

हरि तुम हरो जन की भीर।

द्रोपदी की लाज राखी, तुम बढ़ायो चीर॥

हरि तुम हरो जन की भीर...


भगत कारण रूप नरहरि धर्‌यो आप शरीर॥

हिरण्यकश्यप मारि लीन्हो धर्‌यो नाहिन धीर॥

हरि तुम हरो जन की भीर...


बूड़तो गजराज राख्यो कियौ बाहर नीर॥

दासी मीरा लाल गिरधर चरणकंवल सीर॥


हरि तुम हरो जन की भीर।

द्रोपदी की लाज राखी, तुम बढ़ायो चीर॥


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श्यामा श्याम सलौनी सूरत - भजन (Shyama Shyam Saloni Surat)

श्यामा श्याम सलौनी
सूरत को शृंगार बसंती है ।

भोले तेरी माया अजब निराली है (Bhole Teri Maya Ajab Nirali Hai)

भोले तेरी माया अजब निराली है,
अजब निराली है,

आओ मेरी सखियो मुझे मेहँदी लगा दो (Aao Meri Sakhiyo Mujhe Mehandi Laga Do)

ऐसे वर को क्या वरु,
जो जनमे और मर जाये,

कैंलाश शिखर से उतर कर (Kailash Shikhar Se Utar Kar)

कैलाश शिखर से उतर कर,
मेरे घर आए है भोले शंकर ॥

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