हर हाल में खुश रहना, संतो से सीख जाएं ।
हर हाल में खुश रहना, संतो से सीख जाएं ।
महफ़िल में जुदा रहना, संतो से सीख जाएं ।
हर हाल में खुश रहना, संतो से सीख जाएं ॥
सुख दुःख में हसना रोना, है काम कायरो का ।
सुख दुःख में हसना रोना, है काम कायरो का ।
दोनों में मुस्कुराना, संतो से सीख जाएं ॥
हर हाल में खुश रहना, संतो से सीख जाएं ।
झंझट से भाग जाना, सब लोग बताते है ।
झंझट से भाग जाना, सब लोग बताते है ।
झंझट में बच के रहना, संतो से सीख जाएं ॥
हर हाल में खुश रहना, संतो से सीख जाएं ।
मरने के बाद मुक्ति, सब लोग बताते है ।
मरने के बाद मुक्ति, सब लोग बताते है ।
जीते जी मुक्त होना, संतो से सीख जाएं ॥
हर हाल में खुश रहना, संतो से सीख जाएं ।
दुनिया के लोग दौलत, पाकर के मुस्कुराते ।
दुनिया के लोग दौलत, पाकर के मुस्कुराते ।
पर भिछु बन के हसना, संतो से सीख जाएं ॥
हर हाल में खुश रहना, संतो से सीख जाएं ।
पितृपक्ष की शुरूआत हो चुकी है, ये 16 दिन हमारे पूर्वजों और पितरों को समर्पित होते हैं। इस दौरान किए गए श्राद्ध-तर्पण से घर-परिवार के पितर देवता तृप्त होते हैं और परिवार के लोगों को आशीर्वाद देते हैं।
पितृपक्ष की शुरूआत होते ही हम अपने पूर्वजों का श्राद्ध, तर्पण आदि करने के लिए पवित्र नदियों के तट की तलाश में लग जाते हैं, जहां इस दौरान बहुत भीड़ देखने को मिलती है। सभी लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पवित्र घाटों पर जाकर तर्पण करते हैं।
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