हनुमानजी कभी मेरे घर भी पधारो,
बुद्धि विवेक की बारिश करके,
बुद्धि विवेक की बारिश करके,
मेरा भी जीवन तारो,
हनुमानजी कभी मेरे घर भी पधारों ॥
तुम बलशाली हो ग्रन्थ के ज्ञाता,
तुम बिन कोई भी पार ना पाता,
तेरी महिमा गाके हनुमत,
तेरी महिमा गाके हनुमत,
तर गए लाख हजारो,
हनुमानजी कभी मेरे घर भी पधारों ॥
सादर सेवा की भाव जगी है,
तेरे दरश की आस लगी है,
हम है तुम्हरे भक्त वो हनुमत,
हम है तुम्हरे भक्त वो हनुमत,
ऐसे ना हमको बिसारो,
हनुमानजी कभी मेरे घर भी पधारों ॥
भक्त परदेसी के तुम हितकारी,
गावे ‘निरंजन’ महिमा तुम्हारी,
जीवन नैया बिच भंवर में,
जीवन नैया बिच भंवर में,
आके पार उतारो,
हनुमानजी कभी मेरे घर भी पधारों ॥
हनुमानजी कभी मेरे घर भी पधारो,
बुद्धि विवेक की बारिश करके,
बुद्धि विवेक की बारिश करके,
मेरा भी जीवन तारो,
हनुमानजी कभी मेरे घर भी पधारों ॥
“धनतेरस”, पर्व हर वर्ष कार्तिक मास की त्रयोदशी को मनाया जाता है। कई स्थानों पर इस दिन को धनत्रयोदशी भी कहते हैं। इस दिन का विशेष महत्व है।
छठ पूजा भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। इसे मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े ही उत्साह, उमंग और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
छठ पूजा भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों विशेष तौर पर बिहार, झारखंड, और पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रमुख लोकपर्व है। इस पर्व की खासियत है कि इसमें किसी पुरोहित या पंडित की आवश्यकता भी नहीं होती।
भाई दूज भारतीय परंपराओं का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए मनाती हैं। लेकिन बिहार और कुछ अन्य क्षेत्रों में इस पर्व को मनाने की विधि बेहद अलग और अनोखी है।