इस धरती पर जन्म लिया था दसरथ नंन्दन राम ने,
इस धरती पर गीता गायी यदुकुल-भूषण श्याम ने ।
इस धरती के आगे झुकता मस्तक बारम्बार है ॥
हमको अपनी भारत की माटी से अनुपम प्यार है,
माटी से अनुपम प्यार है, माटी से अनुपम प्यार है ॥
इस धरती की गौरव गाथा गायी राजस्थान ने,
इस पुनीत बनाया अपने वीरों के बलिदान ने ।
मीरा के गीतों की इसमें छिपी हुई झंकार है ॥
हमको अपनी भारत की माटी से अनुपम प्यार है,
माटी से अनुपम प्यार है, माटी से अनुपम प्यार है ॥
कण-कण मंदिर इस माटी का कण-कण में भगवान् है,
इस माटी से तिलक करो यह मेरा हिन्दुस्तान है ।
इस माटी का रोम रोम भारत का पहरेदार है॥
हमको अपनी भारत की माटी से अनुपम प्यार है,
माटी से अनुपम प्यार है, माटी से अनुपम प्यार है ॥
हमको अपनी भारत की माटी से अनुपम प्यार है,
माटी से अनुपम प्यार है, माटी से अनुपम प्यार है ॥
पितृपक्ष की शुरूआत 18 सितंबर से हो चुकी है, यो पर्व 2 अक्टूबर तक जारी रहेंगे। इस दौरान लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण आदि करते हैं। घर-परिवार में जिन लोगों की मृत्यू हो जाती है, वो पितृ बन जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इंसान की मृत्यू के बाद भी उसकी राह आसान नहीं होती है।
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भारतीय परंपरा और संस्कृति में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है, जिसमें पूर्वजों को याद करके उनका तर्पण और पिंडदान किया जाता है।