गोविंदा आला रे आला
ज़रा मटकी सम्भाल बृजबाला
अरे एक दो तीन चार संग पाँच छः सात हैं ग्वाला ॥
गोविंदा आला रे...॥
आई माखन के चोरों की सेना
ज़रा बच के सम्भल के जी रहना
बड़ी नटखट है फ़ौज, कहीं आई जो मौज
नहीं बचने का कोई भी ताला, ताला ॥
गोविंदा आला रे...॥
हो कैसी निकली है झूम के ये टोली
आज खेलेगी दूध से ये होली
भीगे कितना भी अंग, ठंडी हो ना उमंग
पड़े इनसे किसी का न पाला, पाला ॥
गोविंदा आला रे...॥
गोविंदा आला रे...
सकट चौथ पर भगवान गणेश की पूजा के साथ-साथ व्रत कथा का पाठ करना भी अनिवार्य माना जाता है। ऐसा करने से व्रतधारी को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और उसके जीवन से सभी संकट दूर हो जाते हैं।
सनातन हिन्दू धर्म में कालाष्टमी का काफी महत्व होता है। कालाष्टमी भगवान काल भैरव को समर्पित होता है। इस दिन काल भैरव के पूजन से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। ये पर्व हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
सनातन हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का व्रत अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। बता दें कि साल की पहली संकष्टी चतुर्थी लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जानी जाती है। यह व्रत मुख्य रूप से भगवान गणेश जी और सकट माता की पूजा-अर्चना के लिए प्रसिद्ध है।
सनातन हिंदू धर्म में, कालाष्टमी का पर्व शक्ति, साहस, भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव के भैरव स्वरूप की उपासना करने से जातक के जीवन के सभी कष्ट खत्म हो जाते हैं।