घुमतड़ा घर आवो,
ओ म्हारा प्यारा गजानन,
खेलतड़ा घर आवो,
ओ म्हारा प्यारा गजानन ॥
ब्रम्हा पधारो विष्णु पधारो देवा,
संग में ले आना सरस्वती को,
ओ म्हारा प्यारा गजानन,
घुमतड़ा घर आवों,
ओ म्हारा प्यारा गजानन ॥
राम पधारो लक्ष्मण पधारो देवा,
संग में ले आना सीता सती को,
ओ म्हारा प्यारा गजानन,
घुमतड़ा घर आवों,
ओ म्हारा प्यारा गजानन ॥
डमरू बजावत शिव जी पधारो देवा,
संग में ले आना पारवती को,
ओ म्हारा प्यारा गजानन,
घुमतड़ा घर आवों,
ओ म्हारा प्यारा गजानन ॥
सिंह चढ़त माँ आवो भवानी,
संग में ले आना नव दुर्गा को,
ओ म्हारा प्यारा गजानन,
घुमतड़ा घर आवों,
ओ म्हारा प्यारा गजानन ॥
मुरली बजावत कृष्ण पधारो देवा,
संग में ले आना राधा रुक्मण को,
ओ म्हारा प्यारा गजानन,
घुमतड़ा घर आवों,
ओ म्हारा प्यारा गजानन ॥
बाई मीरा कहे प्रभु गिरधर नागर,
देना हमको प्रेम भक्ति हो,
ओ म्हारा प्यारा गजानन,
घुमतड़ा घर आवों,
ओ म्हारा प्यारा गजानन ॥
घुमतड़ा घर आवो,
ओ म्हारा प्यारा गजानन,
खेलतड़ा घर आवो,
ओ म्हारा प्यारा गजानन ॥
भारतीय ज्योतिषशास्त्र में पितृ दोष को एक ऐसा महत्वपूर्ण योग माना गया है, जो जातक के जीवन में अनेक बाधाएं उत्पन्न करता है।
वास्तु शास्त्र प्रकृति और मानव जीवन के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाला प्राचीन विज्ञान है। जब किसी भवन या स्थान में वास्तु के सिद्धांतों का पालन नहीं होता, तो वहां नकारात्मक ऊर्जा या समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को सौंदर्य, प्रेम, कला, विलासिता और भौतिक सुख-सुविधाओं का प्रतीक माना गया है। अगर कुंडली में शुक्र कमजोर या अशुभ स्थिति में हो, तो व्यक्ति को रिश्तों में तनाव, आर्थिक अस्थिरता और सौंदर्य से जुड़ी समस्याएं झेलनी पड़ सकती हैं।
ज्योतिषशास्त्र मानता है कि हमारे जीवन में जो भी उतार-चढ़ाव आते हैं, उसके पीछे ग्रहों की स्थिति और दशा जिम्मेदार होती है। जन्म के समय जातक की तिथि, स्थान और समय के अनुसार कुंडली बनती हैI