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Gauri Ke Nanda Gajanand Gauri Ke Nanda Lyrics (गौरी के नंदा गजानन, गौरी के नन्दा)

Gauri Ke Nanda Gajanand Gauri Ke Nanda Lyrics (गौरी के नंदा गजानन, गौरी के नन्दा)

गजानंद आनंद करो,

दो सुख सम्पति में शीश,

दुश्मन को सज्जन करो,

निवत जिमावा खीर ।


सदा भवानी दाहिनी,

सनमुख रहत गणेश,

पाँच देव रक्षा करे,

ब्रम्हा विष्णु महेश।


विघ्न हरण मंगल करण,

गणनायक गणराज,

रिद्धि सिद्धि सहित पधारजो,

म्हारा पूरण कर जो काज ॥


॥ भजन ॥

गौरी के नंदा गजानन,

गौरी के नन्दा,

म्हने बुद्धि दीजो गणराज गजानन,

गौरी के नन्दा ॥


पिता तुम्हारे है शिव शंकर,

मस्तक पर चँदा,

माता तुम्हारी पार्वती,

ध्यावे जगत बन्दा,

म्हारा विघ्न हरो गणराज गजानन,

गौरी के नंदा ॥


मूसक वाहन दुंद दुन्दाला,

फरसा हाथ लेनदा,

गल वैजंती माल विराजे,

चढ़े पुष्प गंधा,

म्हने बुद्धि दीजो गणराज गजानन,

गौरी के नंदा ॥


जो नर तुमको नहीं सुमरता,

उसका भाग्य मंदा,

जो नर थारी करे सेवना,

चले रिजक धंधा,

म्हारा विघ्न हरो गणराज गजानन,

गौरी के नंदा ॥


विघ्न हरण मंगल करण,

विद्या वर देणदा,

कहता कल्लू राम भजन से,

कटे पाप फंदा,

म्हने बुद्धि दीजो गणराज गजानन,

गौरी के नंदा ॥


गौरी के नंदा गजानन,

गौरी के नन्दा ,

म्हने बुद्धि दीजो गणराज गजानन,

गौरी के नन्दा ॥

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होली से पहले आने वाला होलाष्टक क्या है

एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार जब प्रह्लाद भगवान विष्णु की स्तुति गाने के लिए अपने पिता हिरण्यकश्यप के सामने अड़ गए, तो हिरण्यकश्यप ने भगवान हरि के भक्त प्रह्लाद को आठ दिनों तक यातनाएं दीं।

होलाष्टक से जुड़े पौराणिक कथा

होलाष्टक का सबसे महत्वपूर्ण कारण हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कथा से जुड़ा है। खुद को भगवान मानने वाला हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रह्लाद की भक्ति से नाराज था।

होलाष्टक के यम-नियम क्या हैं

हिंदू पंचांग के अनुसार होलाष्टक होली से पहले आठ दिनों की एक विशेष अवधि है, जो फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलिका दहन तक चलती है। इस अवधि के दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

हिंदू कैलेंडर के अनुसार होली का त्योहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन से पहले होलिका दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

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