गणपति गजवदन वीनायक (Ganpati Gajvadan Vinayak)

गणपति गजवदन विनायक,

थाने प्रथम मनावा जी,

आना कानी मत ना करीयो,

थारी किरपा चावा जी,

गणपति गजवदन वीनायक,

थाने प्रथम मनावा जी ॥


माथे मुकुट निरालो थाने,

पार्वती का लाल कहावो,

गणपति दुंद दुन्दाला है,

रिद्धि सिद्धि थारे संग में सोहे,

मूसे की असवारी है ॥


गणपति गजवदन वीनायक,

थाने प्रथम मनावा जी,

आना कानी मत ना करीयो,

थारी किरपा चावा जी,

गणपति गजवदन विनायक,

थाने प्रथम मनावा जी ॥


रतन भवर गढ़ आप विराजो,

दुखियो का दुःख दूर करो,

जो भी थारे मन में ध्यावे,

उसकी इक्छा पूर्ण करो,

म्हारी लाज भी राखो गणपति,

थाने मनसु ध्यावा जी ॥


गणपति गजवदन वीनायक,

थाने प्रथम मनावा जी,

आना कानी मत ना करीयो,

थारी किरपा चावा जी,

गणपति गजवदन विनायक,

थाने प्रथम मनावा जी ॥


शुभ और लाभ के देने वाले,

सबकी नैया खेते हो,

मित्रमंडल थारी शरण में आयो,

क्यों ना दर्शन देते हो,

थाने खुश करने की खातिर,

‘राजू’ भजन सुणावे जी ॥


गणपति गजवदन वीनायक,

थाने प्रथम मनावा जी,

आना कानी मत ना करीयो,

थारी किरपा चावा जी,

गणपति गजवदन विनायक,

थाने प्रथम मनावा जी ॥

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मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल,
मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल,

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मेरे सतगुरु दीन दयाल,
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