गलियां जरा सजा दो,
महाकाल आ रहे है ॥
दोहा – महाकाल की सवारी,
निकली भ्रमण को आज,
राहें जरा सजा लो,
आ रहे राजाधिमहाराज,
आ रहे राजाधिमहाराज ॥
गलियां जरा सजा दो,
महाकाल आ रहे है,
श्रद्धा से सर झुका लो,
महाकाल आ रहे है,
गलियाँ जरा सजा दो,
महाकाल आ रहे है ॥
ले आए भक्त उनकी,
लो पालकी सजा कर,
दूल्हा बने है देखो,
महाकाल भोले शंकर,
तुम भी अरज लगा लो,
तुम भी अरज लगा लो,
महाकाल आ रहे है,
गलियाँ जरा सजा दो,
महाकाल आ रहे है ॥
है देवी देव सारे,
दर्शन को आज आए,
महाकाल को गगन से,
सुमन रहे बरसाए,
लो आरती उतारो,
महाकाल आ रहे है,
गलियाँ जरा सजा दो,
महाकाल आ रहे है ॥
नगर भ्रमण को निकले,
श्रष्टि के आज राजा,
सब झूमो नाचो गाओ,
जम के बजाओ बाजा,
खुशियां जरा मना लो,
महाकाल आ रहे है,
गलियाँ जरा सजा दो,
महाकाल आ रहे है ॥
महाकाल राजा आए,
लेने है खैर सबकी,
घर घर की सुन रहे है,
देखो रे टेर सबकी,
चलो आओ दरश पा लो,
महाकाल आ रहे है,
गलियाँ जरा सजा दो,
महाकाल आ रहे है ॥
‘शहनाज़’ की भी सुन लो,
उज्जैन वाले बाबा,
‘प्रतिक’ की किस्मत का,
खोलो जरा दरवाजा,
अब तुम भी दर पे आओ,
महाकाल आ रहे है,
गलियाँ जरा सजा दो,
महाकाल आ रहे है ॥
गलियां जरा सजा दो,
महाकाल आ रहे है,
श्रद्धा से सर झुका लो,
महाकाल आ रहे है,
गलियाँ जरा सजा दो,
महाकाल आ रहे है ॥
सीता राम जी के आरती उतारूँ ए सखी
केकरा के राम बबुआ केकरा के लछुमन
भारत में अन्वाधान का अपना एक अलग स्थान है। अन्वाधान कृषि चक्र और आध्यात्मिक उन्नति से जुड़ा पर्व है। इन्हें जीवन को पोषित करने वाली दिव्य शक्तियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने हेतु मनाया जाता है।
सिया जी से पूछ रहे अंजनी के लाला,
मांग में सिंदूर मैया किस लिए डाला,
सीता राम सीता राम,
सीताराम कहिये,