गलियां जरा सजा दो, महाकाल आ रहे है (Galiyan Jara Saja Do Mahakal Aa Rahe Hai)

गलियां जरा सजा दो,

महाकाल आ रहे है ॥


दोहा – महाकाल की सवारी,

निकली भ्रमण को आज,

राहें जरा सजा लो,

आ रहे राजाधिमहाराज,

आ रहे राजाधिमहाराज ॥


गलियां जरा सजा दो,

महाकाल आ रहे है,

श्रद्धा से सर झुका लो,

महाकाल आ रहे है,

गलियाँ जरा सजा दो,

महाकाल आ रहे है ॥


ले आए भक्त उनकी,

लो पालकी सजा कर,

दूल्हा बने है देखो,

महाकाल भोले शंकर,

तुम भी अरज लगा लो,

तुम भी अरज लगा लो,

महाकाल आ रहे है,

गलियाँ जरा सजा दो,

महाकाल आ रहे है ॥


है देवी देव सारे,

दर्शन को आज आए,

महाकाल को गगन से,

सुमन रहे बरसाए,

लो आरती उतारो,

महाकाल आ रहे है,

गलियाँ जरा सजा दो,

महाकाल आ रहे है ॥


नगर भ्रमण को निकले,

श्रष्टि के आज राजा,

सब झूमो नाचो गाओ,

जम के बजाओ बाजा,

खुशियां जरा मना लो,

महाकाल आ रहे है,

गलियाँ जरा सजा दो,

महाकाल आ रहे है ॥


महाकाल राजा आए,

लेने है खैर सबकी,

घर घर की सुन रहे है,

देखो रे टेर सबकी,

चलो आओ दरश पा लो,

महाकाल आ रहे है,

गलियाँ जरा सजा दो,

महाकाल आ रहे है ॥


‘शहनाज़’ की भी सुन लो,

उज्जैन वाले बाबा,

‘प्रतिक’ की किस्मत का,

खोलो जरा दरवाजा,

अब तुम भी दर पे आओ,

महाकाल आ रहे है,

गलियाँ जरा सजा दो,

महाकाल आ रहे है ॥


गलियां जरा सजा दो,

महाकाल आ रहे है,

श्रद्धा से सर झुका लो,

महाकाल आ रहे है,

गलियाँ जरा सजा दो,

महाकाल आ रहे है ॥

........................................................................................................
फुलेरा दूज पूजा विधि

फुलेरा दूज फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाले त्योहार है। यह त्योहार वसंत पंचमी के आने का संकेत देता है। इस दिन देश भर में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को सजाया जाता है।

शनि त्रयोदशी की भोग सामग्री

शनि त्रयोदशी का पर्व शनि देव की पूजा और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए बेहद खास होता है। इस दिन सही तरीके से पूजा करने और खास भोग अर्पित करने से शनि ग्रह के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिल सकती है।

नर्मदा में स्नान के अद्भुत लाभ

भारतीय संस्कृति में नदियों का महत्व बहुत अधिक है, उन्हें मां का दर्जा दिया जाता है। गंगा नदी के प्रति लोगों की आस्था से अधिकतर लोग परिचित हैं। हालांकि, देश भर में खासकर मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी का काफी महत्व है। इस बार 4 फरवरी को नर्मदा जयंती मनाई जा रही है।

माघ गुप्त नवरात्रि की पूजन विधि

माघ और आषाढ़ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। 2025 की पहली गुप्त नवरात्रि माघ महीने में 30 जनवरी से श्रवण नक्षत्र और जयद योग में प्रारंभ होगी।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने