मेरे बाबा साथ,
छोड़ना ना तुझे है कसम,
एक तू ही है मेरा,
बाकी सब है वहम,
मेरे बाबा साथ,
छोड़ना ना तुझे है कसम॥
मिलता सब कुछ,
दरबार में तेरे जो भी आता है,
लो आ गई मैं भी दर पे,
मुझको भी हो कृपा,
मेरी सुनले बाबा,
बाणधारी खाटू के चमन,
एक तू ही हैं मेरा,
बाकी सब है वहम,
मेरे बाबा साथ,
छोड़ना ना तुझे है कसम ॥
चलना साथ हरदम,
बाबा मैं विश्वास लाइ हूँ,
दुनिया से हार गई हूँ,
तेरे दर पे आई हूँ,
रहना हरपल बाबा,
साथ मेरे तुझे है कसम,
एक तू ही हैं मेरा,
बाकी सब है वहम,
मेरे बाबा साथ,
छोड़ना ना तुझे है कसम ॥
आऊं नगरी तेरी तो,
मैं बस तेरी हो जाऊं,
तेरे दर्शन जो कर लूँ,
मैं तुझमे खो जाऊं,
तेरे मिलने की दुरी अब,
हुई है ख़तम,
एक तू ही हैं मेरा,
बाकी सब है वहम,
मेरे बाबा साथ,
छोड़ना ना तुझे है कसम ॥
मेरे बाबा साथ,
छोड़ना ना तुझे है कसम,
एक तू ही है मेरा,
बाकी सब है वहम,
मेरे बाबा साथ,
छोड़ना ना तुझे है कसम ॥
छठ पूजा 5 नवंबर से नहाय-खाय के साथ शुरू होने जा रहा है। यह 04 दिनों तक चलने वाला पर्व है। जो शुद्धता, संकल्प और यम- नियमों पर आधारित है।
छठ पूजा का पर्व आस्था, संयम और शुद्धता का प्रतीक है। इसे बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक मनाया जाने वाला छठ महापर्व सूर्य देव और छठी मईया की आराधना का पर्व है। इस साल यह 5 नवंबर 2024 को नहाय-खाय से शुरू होगा और 8 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगा।
लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर से नहाय खाय के साथ हो चुकी है। यह पर्व दिवाली के बाद मनाया जाता है और खासकर उत्तर भारत में इसका विशेष महत्व है।