दुःख की बदली, जब जब मुझ पे छा गई(Dukh Ki Badli Jab Jab Mujhpe Cha Gayi )

दुःख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई,

वो आ गई वो आ गई,

वो आ गई मेरी माँ,

दुख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई ॥


जब जब संकट आया है,

माँ को सामने पाया है,

दुनिया ने रिश्ते तोड़े,

इसने साथ निभाया है,

रोते हुए को हसा गई,

अपने गले लगा गई,

वो आ गई वो आ गई,

वो आ गई मेरी माँ,

दुख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई ॥


स्वार्थ के संसार में,

तू ही एक सहारा है,

तेरे बिना इस जग में माँ,

कोई नहीं हमारा है,

हारे हुए को जीता गई,

भक्त का मान बढ़ा गई,

वो आ गई वो आ गई,

वो आ गई मेरी माँ,

दुख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई ॥


ये सच्ची दातार है,

इसकी दया अपार है,

इसकी रहमत से चलता,

मेरा घर संसार है,

‘रजनी’ की बिगड़ी बना गई,

हर घड़ी लाज बचा गई,

वो आ गई वो आ गई,

वो आ गई मेरी माँ,

दुख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई ॥


दुःख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई,

वो आ गई वो आ गई,

वो आ गई मेरी माँ,

दुख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई ॥

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आयो नंदगांव से होली खेलन नटवर नंद किशोर ।
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गजमुख धारी जिसने तेरा, सच्चे मन से (Gajmukhdhari Jisne Tera Sachche Man Se)

गजमुख धारी जिसने तेरा,
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जयति जयति जग-निवास,शंकर सुखकारी॥
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