श्याम दर्शन,
जरा दिखा जाओ,
दिल की कुटिया,
में मेरी आ जाओ ॥
मैंने कुटिया बहुत सजाई है,
मैंने कुटिया बहुत सजाई है,
खुशबु अपनी जरा लुटा जाओ,
दील की कुटिया,
में मेरी आ जाओ ॥
खातरी तेरी सांवरे होगी,
खातरी तेरी सांवरे होगी,
भाव दिल के जरा जगा जाओ,
दील की कुटिया,
में मेरी आ जाओ ॥
कुछ कहेंगे तो कुछ सुनेंगे तेरी,
कुछ कहेंगे तो कुछ सुनेंगे तेरी,
हमको मदहोश तो बना जाओ,
दील की कुटिया,
में मेरी आ जाओ ॥
दील की कुटिया में कुछ कमी तो नहीं,
दील की कुटिया में कुछ कमी तो नहीं,
गर कमी है कमी पूरा जाओ,
दील की कुटिया,
में मेरी आ जाओ ॥
दील की कुटिया करीब है तेरे,
दील की कुटिया करीब है तेरे,
तुम जरा सा करीब आ जाओ,
दील की कुटिया,
में मेरी आ जाओ ॥
‘नंदू’ हर हाल में तुम्हे चाहे,
‘नंदू’ हर हाल में तुम्हे चाहे,
प्रेम ऐसा प्रभु जगा जाओ,
दील की कुटिया,
में मेरी आ जाओ ॥
श्याम दर्शन,
जरा दिखा जाओ,
दिल की कुटिया,
में मेरी आ जाओ ॥
पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा या वैकुंठ एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन पुत्र या संतान प्राप्ति के लिए उपाय करने से सफलता मिलती है। मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
सनातन धर्म में बैकुंठ एकादशी का विषेश महत्व है। इस पवित्र दिन पर भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को मृत्यु उपरांत बैकुंठ धाम में स्थान मिलता है।
धार्मिक मान्यता है कि मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना और व्रत करने से जातक की हर मनोकामना पूरी होती है। इस दिन दुर्गा चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए।
वो राम धुन में मगन है रहते,
लगन प्रभु की लगा रहे है,