ध्यानु की तरह अम्बे, मेरा नाम अमर कर दो (Dhyanu Ki Tarah Ambe Mera Naam Amar Kardo)

ध्यानु की तरह अम्बे,

मेरा नाम अमर कर दो,

चरणों में मिट जाऊं,

भक्ति की नजर कर दो,

ध्यानु की तरह अम्बें,

मेरा नाम अमर कर दो ॥


चोला बसंती माँ,

पहना है लिए मस्ती,

सर प्रेम के बाने में,

लाली है तेरी हस्ती,

झंकार के छैनों की,

इस मन को संवर कर दो,

ध्यानु की तरह अम्बें,

मेरा नाम अमर कर दो ॥


मंगलमय शुभ ज्योति,

मन मंदिर में जागी,

तेरा पंथ निराला है,

मोहे सांची लगन लागी,

गुण गान करे वाणी,

स्वासों में असर कर दो,

ध्यानु की तरह अम्बें,

मेरा नाम अमर कर दो ॥


माता और बेटे का,

रिश्ता ये पुराना है,

ममता में बंधती वो,

मैंने तो ये जाना है,

रहमत की निगाहें माँ,

इक बार अगर कर दो,

ध्यानु की तरह अम्बें,

मेरा नाम अमर कर दो ॥


ध्यानु की तरह अम्बे,

मेरा नाम अमर कर दो,

चरणों में मिट जाऊं,

भक्ति की नजर कर दो,

ध्यानु की तरह अम्बें,

मेरा नाम अमर कर दो ॥

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बाँधा था द्रौपदी ने तुम्हे (Bandha Tha Draupadi Ne Tumhe Char Taar Main)

बाँधा था द्रौपदी ने तुम्हे,
चार तार में ।

मन में है विश्वास अगर जो श्याम सहारा मिलता है(Man Mein Hai Vishwas Agar Jo Shyam Sahara Milta Hai)

मन में है विश्वास अगर जो,
श्याम सहारा मिलता है,

चैत्र अमावस्या पर करें पितृ सूक्त पाठ

हिंदू धर्म में चैत्र मास की अमावस्या का विशेष महत्व माना गया है। यह दिन पूर्वजों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म और तर्पण करने के लिए शुभ माना जाता है।

भगवान कार्तिकेय के प्रमुख मंदिर

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक चंद्र मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था। इसलिए भक्त हर महीने इस तिथि को उनका जन्मोत्सव मनाते हैं।

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