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ढोलिडा ढोल रे वगाड़ (Dholida Dhol Re Vagad)

ढोलिडा ढोल रे वगाड़ (Dholida Dhol Re Vagad)

ढोलिडा ढोल रे वागाड़,

मारे हिंच लेवी छे,

हिच लेवी छे,

हामे जापे जावा से,

हिच लेवी छे,

हामे जापे जावा से,

ढोलिडा ,,,,,,,,,

ढोलिडा ढोल रे वगाड़,

मारे हिंच लेवी छे,

ढोलिडा ढोल रे वगाड़,

मारे हिंच लेवी छे ॥


तारे किया भाई ने जोगळे,

हवे हिच लेवी छे,

तारे किया भाई ने जोगळे,

हवे हिच लेवी छे,

म्हारा सायबा तारी जोगळे,

मारे हिच लेवी छे,

म्हारा सायबा तारी जोगळे,

मारे हिच लेवी छे,

तारा ढोल नी माते,

डांडियों पड़े ने,

मारा हिवड़ा लेवे जाए,

मारा हिवड़ा लेवे जाए,

मारा दिलड़ा लेवे जाए,

ढोलिडा ,,,,,,,,,

ढोलिडा ढोल रे वगाड़,

मारे हिंच लेवी छे ॥


तारे किया भाई ने डांडिये,

हवे हिच लेवी छे,

तारे किया भाई ने डांडिये,

हवे हिच लेवी छे,

म्हारा सायबा तारी डांडिये,

हवे हिच लेवी छे,

म्हारा सायबा तारी डांडिये,

मारे हिच लेवी छे,

तारा ढोल नी माते,

जद डांडियों पड़े ने,

मारा हिवड़ा लेवे जाए,

मारा हिवड़ा लेवे जाए,

मारा दिलड़ा लेवे जाए,

ढोलिडा ,,,,,,,,,

ढोलिडा ढोल रे वगाड़,

मारे हिंच लेवी छे ॥


तारे किया भाई ने देशे,

हवे हिच लेवी छे,

तारे किया भाई ने देशे,

हवे हिच लेवी छे,

म्हारा सायबा तारी देशे,

हवे हिच लेवी छे,

म्हारा सायबा तारी देशे,

मारे हिच लेवी छे,

तारा ढोल नी माते,

जद डांडियों पड़े ने,

मारा हिवड़ा लेवे जाए,

मारा हिवड़ा लेवे जाए,

मारा दिलड़ा लेवे जाए,

ढोलिडा ,,,,,,,,,

ढोलिडा ढोल रे वगाड़,

मारे हिंच लेवी छे ॥


ढोलिडा ढोल रे वागाड़,

मारे हिंच लेवी छे,

हिच लेवी छे,

हामे जापे जावा से,

हिच लेवी छे,

हामे जापे जावा से,

ढोलिडा ,,,,,,,,,

ढोलिडा ढोल रे वगाड़,

मारे हिंच लेवी छे,

ढोलिडा ढोल रे वगाड़,

मारे हिंच लेवी छे ॥

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गणेश चतुर्थी व्रत कथा

गणेश चतुर्थी को गणपति जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन संपूर्ण विधि-विधान के साथ घर में एक दिन, दो दिन, तीन दिन या फिर 9 दिनों के लिए गणेश जी की स्थापना की जाती है।

गणेश चतुर्थी पूजन सामग्री लिस्ट

गणेश चतुर्थी की शुरुआत भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है और यह पर्व चतुर्दशी तिथि को समाप्त होता है। यह 10 दिनों तक चलने वाला भव्य उत्सव होता है।

जन्माष्टमी पर जरूर पढ़ें ये कथा

भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं, क्योंकि यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। भगवान कृष्ण ने माता देवकी की आठवीं संतान के रूप में जन्म लिया था।

कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि

सनातन धर्म में भाद्रपद माह को सभी माह में विशेष माना जाता है। इस माह को भगवान कृष्ण के जन्म से जोड़ा गया है। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कन्हैया का जन्मोत्सव मनाया जाता है।

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